दूरदर्शन और संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर वैष्णव जन तो तेने कहिये भजन का इंस्ट्रूमेंटल तैयार किया गया. प्रधानमंत्री कार्यालय और भारत सरकार की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में उत्तराखण्ड के 3 वाद्य यंत्रों को भी प्रतिनिधित्व दिया गया, हुड़का, थाली और मशकबीन.
गौरतलब है कि इस बड़े संगीत प्रोजेक्ट में देश भर के विभिन्न राज्यों के 57 संगीतकारों ने वाद्य यंत्रों बजाये हैं. उत्तराखण्ड का प्रतिनिधित्व करते हुए पिथौरागढ़ के कैलाश कुमार ने थाली, देवलथल के डिगर राम ने हुड़का और बेरीनाग के दिनेश बेरी ने मशकबीन की धुन का योगदान दिया. संयोग से तीनों ही साजिंदे पिथौरागढ़ जिले से हैं.
महात्मा गांधी के इस प्रिय भजन के इंस्ट्रुमेंटल को तैयार करने के लिए संगीत नाटक अकादमी द्वारा साजिंदों की व्यवस्था की गयी थी. इसी क्रम में अकादमी द्वारा पिथौरागढ़ के कैलाश कुमार से संपर्क किया गया. कैलाश कई सालों से भाव राग ताल अकादमी के बैनर तले पिथौरागढ़ में थियेटर व अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में लगे हुए हैं. कैलाश के संयोजन में ही उत्तराखण्ड के वाध्य इस संगीतमय प्रस्तुति का हिस्सा बने.
वैष्णव जन तो तेने कहिये के इस गीत को तैयार करने के लिए संस्कृति मंत्रालय और भारत सरकार द्वारा इस साल के शुरू से ही तैयारी की जा रही थी. इसमें देश के विभिन्न हिस्सों के लगभग सभी लोक वाद्यों को शामिल करने की कोशिश की गयी थी. आज रिलीज किये गए इस गीत में आप कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के कई साज और साजिंदों को देख सकते हैं.
वैष्णव जन तो तेने कहिये भारत का एक लोकप्रिय भजन है. यह महात्मा गांधी का भी प्रिय भजन था. गांधी की नित्य प्रार्थना में यह गीत शामिल रहा करता था. 15वीं शताब्दी में संत नरसिंह मेहता द्वारा गुजराती भाषा में रचे गए इस भजन में वैष्णव जनों के लिए उत्तम और आदर्श व्यवहार का जिक्र है.
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