समाज

उत्तराखण्ड पंचायत चुनाव: रागिनी बनीं सबसे कम उम्र की जनप्रतिनिधि

हल्द्वानी ब्लॉक की पनियाली ग्राम सभा से मात्र 21 साल 3 महीने की उम्र में ग्राम प्रधान का चुनाव जीतकर रागिनी आर्या ने नया इतिहास रचा है. रागिनी आर्य सबसे कम उम्र की जनप्रतिनिधि बनी हैं. (Youngest panchayat representative Ragini Arya)  

प्रदेश में कल संपन्न हुए पंचायत इलेक्शन में नए-नए रुझान सामने आए हैं. एक रोचक मामला हल्द्वानी एमबीपीजी कॉलेज से साइकोलॉजी तृतीय वर्ष की छात्रा रागिनी आर्य का भी है.

पनियाली से ग्राम प्रधान निर्वाचित हुई रागिनी आर्य का बचपन राजनीति में रचा-बसा रहा है. इसी वजह से वह भी राजनीति के क्षेत्र में आने को प्रेरित हुई.

रागिनी के पिता हरीश चन्द्र आर्य पूर्व जिला पंचायत सदस्य रहे हैं. रागिनी के ताऊ स्व. इंद्र लाल आर्य विधायक रहे हैं. परदादा स्व. खुशी राम आर्य को कुमाऊं केसरी भी कहा जाता है. खुशी राम एक ज़माने के कद्दावार नेता रहे हैं.

रागिनी की गौरवशाली राजनीतिक विरासत भी उन्हें जनता का पूरा विश्वास और समर्थन मिलने का कारण रही है. इसी कारण वे आज बेहद कम उम्र में विजय हुई हैं. (Youngest panchayat representative Ragini Arya)

अब रागिनी के सामने जनता की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती है.  पंचायत का उद्देश्य जनता के बीच सही तरीके से पहुंचाना उनका पहला मकसद है.वे क्षेत्र के विकास कार्यों को अपनी पहली प्राथमिकता बताती हैं. रागिनी के पिता अल्मोड़ा लोकसभा क्षेत्र से आम आदमी पार्टी के टिकट से भी चुनाव लड़ चुके हैं.

रागिनी आर्य ने बताया कि लोगों ने उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है और वे उस कसौटी पर अवश्य खरा उतरेंगी.

उनका कहना है राजनीति एक विचार है उसको समझना है और जो उसको समझेगा वह ही आगे बढ़ेगा.

उनका कहना है लोगों ने कम उम्र में ही उन्हें भरपूर समर्थन दिया जिसके लिए वह लोगों का धन्यवाद अर्पित करती हैं. वे अपने क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए हमेशा तत्पर रहेंगी और लोगों के सुख-दुख में हमेशा साथ रहेंगी.

हल्द्वानी के बैंककर्मी विनोद प्रसाद  लगभग एक दशक तक दैनिक हिन्दुस्तान में फोटो जर्नलिस्ट के तौर पर काम कर चुके हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

अंग्रेजों के जमाने में नैनीताल की गर्मियाँ और हल्द्वानी की सर्दियाँ

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में आज से कोई 120…

2 days ago

पिथौरागढ़ के कर्नल रजनीश जोशी ने हिमालयन पर्वतारोहण संस्थान, दार्जिलिंग के प्राचार्य का कार्यभार संभाला

उत्तराखंड के सीमान्त जिले पिथौरागढ़ के छोटे से गाँव बुंगाछीना के कर्नल रजनीश जोशी ने…

2 days ago

1886 की गर्मियों में बरेली से नैनीताल की यात्रा: खेतों से स्वर्ग तक

(1906 में छपी सी. डब्लू. मरफ़ी की किताब ‘अ गाइड टू नैनीताल एंड कुमाऊं’ में…

3 days ago

बहुत कठिन है डगर पनघट की

पिछली कड़ी : साधो ! देखो ये जग बौराना इस बीच मेरे भी ट्रांसफर होते…

4 days ago

गढ़वाल-कुमाऊं के रिश्तों में मिठास घोलती उत्तराखंडी फिल्म ‘गढ़-कुमौं’

आपने उत्तराखण्ड में बनी कितनी फिल्में देखी हैं या आप कुमाऊँ-गढ़वाल की कितनी फिल्मों के…

4 days ago

गढ़वाल और प्रथम विश्वयुद्ध: संवेदना से भरपूर शौर्यगाथा

“भोर के उजाले में मैंने देखा कि हमारी खाइयां कितनी जर्जर स्थिति में हैं. पिछली…

1 week ago