मैं कितना खुश हूँ, इस पल को जी रहा हूं. मेरे पास बहुत कुछ है, जो तमाम लोगों के पास नहीं है. यही तो पल-पल जीने का एहसास है. जानते हैं आप, दुनिया में प्रत्येक 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर लेता है. प्रतिवर्ष आठ लाख लोग अपना जीवन खुद ही खत्म कर लेते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह आंकड़ा चौकाने वाला है. मानव जिंदगी को यूं ही खत्म करने वालों की उम्र 15 से 29 साल की है. इसके बावजूद दुनिया में इतना महत्वपूर्ण विषय उपेक्षित ही है. (World Mental Health Day 2019 Message )
दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए 1992 से प्रत्येक वर्श 10 अक्टूबर को विष्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. इस वर्श थीम है मानसिक स्वास्थ्य प्रोत्साहन और आत्महत्या रोकथाम. (World Mental Health Day 2019 Message)
इसी थीम पर अपने सन्देश में वर्ल्ड फेडरेशन फाॅर मेंटल हेल्थ के अध्यक्ष डाॅ. अल्बर्टाे ट्र्रिमबोली कहते हैं, आत्महत्या एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है, जिस पर दुनिया के वैज्ञानिक और पेशेवर संगठनों, मानसिक स्वास्थ्य उपयोगकर्ताओं और उनके परिवारों, और विश्वविद्यालयों सहित मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले सभी अभिनेताओं के ध्यान जाना चाहिए और इसके बचाव के लिए रणनीतियां बनानी होंगी.
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से 2016 के बीच 26,476 भारत में छात्रों ने आत्महत्या की. इनमें 7,462 छात्रों ने आत्महत्या विभिन्न परीक्षा में फेल होने के डर से की थी. इस तरह की प्रवृति शिक्षा प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह लगाती है. इसके लिए सरकार को विशेष रणनीति बनाने की जरूरत है. इस तरह की स्थिति हम सभी के लिए चिंतनीय है.
हालांकि आत्महत्या केवल विकासशील देशो में नहीं, बल्कि विकसित देशों के लिए भी बड़ी समस्या बन गई है. इसके बावजूद वैश्विक स्तर पर इसकी रोकथाम के लिए ठोस पहल नहीं नजर आ रही है. हालांकि तमाम संगठन व कुछ देश अपने-अपने स्तर से शानदार पहल कर रहे हैं. इसका असर भी दखने को मिल रहा है.
कारण: आत्महत्या का कोई एक कारण नहीं है. इसके लिए पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक तमाम कारण जिम्मेदार हैं. बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी इसका मुख्य कारण है. पढ़ाई व नौकरी का दबाव युवाओं में बड़ा कारण बनकर उभर रहा है.
पब्लिक हेल्थ एजेंडे में इस विषय को शामिल करना जरूरी: सरकारों के लिए आत्महत्या कोई बड़ा मुददा नहीं होता है. जबकि इस विषय पर खास फोकस किए जाने की जरूरत है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से मानसिक स्वास्थ्य को दुरूस्त करने के लिए काउंसलिंग सेंटर बनाये जाने चाहिए. मनोवैज्ञानिको को नियुक्त करना चाहिए.
मानसिक रूप से स्वस्थ रहने को अपनाएं ये तरीके:
– खुश रहें
– क्षमता के आधार पर प्रत्याशा रखें
– छोटी-छोटी सफलता पर जश्न मनाएं
– अपनी परेशानी अपने नजदीकी दोस्तों व रिश्तेदारों को बताएं
– नियमित व्यायाम करें
– योग व ध्यान करना बेहतर रहेगा
– क्रोध को नियंत्रित करने का तरीका सीखें
– धैर्य रखने की क्षमता विकसित करें
– अपना पसंदीदा खेल अवश्य खेलें
– सकारात्मकता पैदा करने वाली किताबें पढ़ें
– चुनौतियों से घबराएं नहीं
– दांपत्य जीवन में सामंजस्य बैठाएं
गणेश जोशी: हल्द्वानी निवासी गणेश जोशी एक समाचार पत्र में वरिष्ठ संवाददाता हैं. गणेश सोशल मीडिया पर अपना ‘सीधा सवाल’ सीरीज में अनेक समसामयिक मुद्दों पर जिम्मेदार अफसरों, नेताओ आदि को कटघरे में खड़ा करते हैं.
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विश्व मानसिक दिवसपर आलेख बहुत अच्छा है