आज जब हम लोगों को अपने बच्चों के हिंदी बोलने तक में शर्म महसूस होती है ऐसे में अपने बच्चों को कुमाऊनी बोलने की इजाजत भर देना आश्चर्यचकित कर देता है.
किसी भाषा की दुर्गत करने में पहला योगदान उस भाषा को बोलने वालों का होता है सरकार, देश, दुनिया सब बाद में आते हैं.
कुमाऊनी आज जहां कहीं भी बची हुई है केवल भावनात्मक लगाव के कारण बची है बाकि इसका भविष्य में क्या होगा यह कहना अंधेरे में तीर मारने जैसा है. जब हमने कभी इसके प्रयास ही नहीं किये तो इसपर सोचने की फुर्सत कहां.
विश्व में कुमाऊनी उन कुछ भाषाओं में से के है जिसका शब्दकोश बहुत बड़ा है. इस बात को एक उदाहरण से समझा जा सकता है.
हिंदी में दुर्गन्ध, बू, बदबू आदि एक दूसरे के समानार्थी हैं. अंग्रेजी में Stench, Stink, Fetor, Bad smell, Foul smell आदि समानार्थी शब्द हैं. लेकिन क्या आप इन शब्दों से इस बात अंदाजा लगा सकते हैं कि यह गंध किस चीज की है. लेकिन कुमाऊनी के साथ ऐसा नहीं है यहां हर तरह की गंध के लिये अलग शब्द है.
वैसे कुमाऊनी में गन्ध के लिये मुख्य शब्द बास है लेकिन अलग अलग तरह की बास के लिये अलग अलग तरह के शब्द हैं.
बकरे से आने वाली गंध को लूलैन कहते हैं तो भैंस के दूध के आने वाली गंध को भैसेन. कपड़ा जलने पर आने वाली गन्ध के लिये शब्द हन्तरैन है तो मनुष्य के मूत्र से आने वाली गन्ध के लिये शब्द चुरैन है. मूली या खराब दही से आने वाली गन्ध गनैन है तो मिर्च जलने पर आने वाली गन्ध खौसेन. भुटैन मक्का,गेहूं के भूनने से आने वाली गन्ध के लिये है तो भड़यैन बकरी भूनते समय आने वाली गन्ध के लिये शब्द है. सीलन से उठने वाली गन्ध स्यौदैन है तो सड़ी हुई चीजों से उठने वाली गन्ध सडैन है.
इसी तरह गंध के लिये हमारी कुमाऊनी में और भी न जाने कितने शब्द हैं. जिसकी ध्वनि से ही हमें आधी से अधिक जानकारी मिल जाती है. क्या आप भी ऐसे शब्द जानते हैं जिन्हें आपकी लोकभाषा में गंध के लिये प्रयोग किया जाता है. कमेन्ट बॉक्स में हमें अपनी लोकभाषा में गंध के लिये शब्द बताएं.
शम्भुदत्त सती द्वारा रचित ओ इजा के आधार पर.
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
फायदेमंद है जोंक से अपना खून चुसवाना
भांग की चटनी – चटोरे पहाड़ियों की सबसे बड़ी कमजोरी
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
View Comments
गंध
बकरी से- बकरैन
कुत्ते से - कुकरैन
मछली से - मछैन
कपड़ा या बाल जलने पर - किड़ैन
बाघ से - बगैन
मखन से घी बनाते समय भी -भुटैन
चरसियों से - भंगैन या अतरैन
नैर पाती से -धूपैण ( जिस पात्र में जलाया जाता है उसके लिए भी प्रयुक्त होता है)
गोबर से -घुभरैन
जो सबसे अजीब असहनीय -गुवैन
ऐन जुड़ गया है सभी शब्दों में
तिमूर के बारे में भी जानकारी देने की कोशिश करें ।
पहाड़ में गधेरों की मुँडेरों पर लंबी सींकों से युक्त काँटेदार झाड़ी जिसके दातुन करने का अनुभव मेरे लिए व्यक्त करना मुश्किल है ।
I love uttrakhand I love kumauni language
chatpatey khaney ki gandh ko लटपटैन
This article need more research.The origin of different smell is different language.For example churan drives for tibeten language.
I am unable to understand the procedure for selection of matter for ur blog. One condition i m aware that it should be related to Uttrakhand. Rest i dont know. If possible let me know pl.
यदि पैसे से ज्यादा संस्कृति ही प्यारी है तो लेख हिंदी की जगह कुमाउनी में ही लिखें या फिर दोनों में ....
झलिया शब्द केवल कुमाऊं वाले प्रयोग करते हैं. इसका पर्यायवाची ना हिंदी और ना ही अंग्रेज़ी में हैं. इसके लिए हिंदी में तीता (कौड़ी या कड़वी) और अंग्रेज़ी में (bitter, pungent) शब्द है, लेकिन मिरचा (खुशांणी) के तीखेपन के लिए सटीक शब्द कुमाऊंनी में ही है.
पुनश्च: खुशांणी शब्द लिखने में गलती की गुंजाइश है.