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गैरसैंण की ठंड से आखिर इतना क्यों घबराते हैं उत्तराखंड के विधायक

आज से उत्तराखंड विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरु हो रहा है. यह सत्र गैरसैंण के बजाय देहरादून में किया जा रहा है. इसके पीछे मुख्यमंत्री द्वारा गैरसैंण की ठंड को बतौर कारण पेश किया जा रहा है. Uttarakhand Vidhan Sabha Winter Session

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने हालिया बयान में कहा था कि दिसम्बर के महीने में ठंड अधिक होती है और हमारे विधायक इतनी ठंड में गैरसैंण में काम नहीं कर पायेंगे. अपने बयान में उन्होंने नेता प्रतिपक्ष को भी साथी बनाते हुए कहा कि वह भी उनकी इस बात से सहमत हैं.

अगर मुख्यमंत्री की बात सही है तो इस बात का अर्थ यह हुआ कि उत्तराखंड का पूरा विधानसभा मंडल एक स्वर में चाहता है कि ठंड से बचने के लिए गैरसैंण में विधानसभा सत्र आयोजित न हो. क्या यह उत्तराखंड के लोगों के लिए शर्मनाक नहीं है कि उनका कोई भी प्रतिनिधि नहीं चाहता कि गैरसैंण में शीतकालीन सत्र का आयोजन किया जाय.

विधानसभा सदस्य राज्य की जनता के प्रतिनिधि के रूप में विधानसभा में गये हैं फिर ये कैसे प्रतिनिधि हैं जो ठंडियों में पहाड़ चढ़ने से डरते हैं जबकि राज्य की अधिकांश जनता तो पूरे-पूरे साल इसी ठंड में गुजारती है.

जिन विधायकों को चार दिन गैरसैंण में रहने से ठंड लग जाती है वह कैसे इस हिमप्रदेश के प्रतिनिधि हुये. कैसे कहा जाय कि ये पहाड़ के प्रतिनिधि हैं?

इस बीच कांग्रेस नेता हरीश रावत आज से गैरसैंण में शीतकालीन सत्र के लिए उपवास पर बैठे हैं. जिस तरह से चुनाव में हारने के बाद हरीश रावत को मडुवा, काफल, ककड़ी और भट्ट याद आ रहे हैं, प्रदेशवासियों को चाहिये कि हरीश रावत को हमेशा विपक्ष में बैठा कर रखें क्योंकि सत्ता में आने के बाद तो हरीश रावत भी डेनिश और खनन के करीब ही देखे जाते हैं.

गैरसैंण में सत्र के लिये हरीश रावत ने अपने फेसबुक वाल पर भाजपा के विधयाकों के लिये ठंड से बचने के लिए कुछ वीडियो जारी किये हैं. कांग्रेस के विधायकों को भी हरीश रावत का वीडियो देखना चाहिये ठंड तो सभी विधायकों को बराबर लग रही है. Uttarakhand Vidhan Sabha Winter Session

-गिरीश लोहनी

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Girish Lohani

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