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पहाड़ों में इस अंदाज में मनेगा आज नववर्ष

आज चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा का दिन है. आज के दिन से नवरात्रि शुरु होती है और हिन्दू नववर्ष भी मनाया जाता है. इसे विक्रम संवत या नव संवत्सर कहा जाता है. चैत्र प्रतिपदा को ही नया संवत्सर शुरु होता. नए साल का पतड़ा ख़रीदा जाता और पंडित जू नये संवत में कौन सा ग्रह राजा और कौन मंत्री होंगे और देश प्रान्त में इसके क्या फल होंगे जैसी बात बताते.
(Vikram Samvat 2079 Uttarakhand)

नववर्ष के दिन गांव में पंडित ज्यू आते हैं और संवत्सर सुनाते हैं. मुख्य बातें भैरव-भवानी संवाद के रूप में होती. भैरव भवानी से पूछते हैं, ‘दो हज़ार उन्न्यासी संवत के संवत्सर का करो बखान, किसे ग्रहों ने चुना वर्षपति और कौन आमात्य प्रधान?’ तब भवानी नये साल के वर्षपति और आमात्य की स्थिति के साथ नव ग्रहों और बारह राशियों पर इनके प्रभाव के बारे में विस्तार से बताती. अपनी राशि का वर्षफल जानने की उत्कंठा हर किसी में होती. संवत्सर को सुनाने के बदले पंडित ज्यू को गांव वाले दक्षिणा देते हैं.  

चैत्र प्रतिपदा का दिन वर्ष के सबसे शुभ दिनों में माना जाता है. चैत्र प्रतिपदा को व्रत भी रखा जाता और सस्वर दुर्गा सप्तसती का पाठ कर देवी पूजन किया जाता. अब नवरात्रियाँ आरंभ होती हैं. चेताष्ट्मी को भी त्यौहार मनाया जाता है. मंदिरों में भजनपूजन व कीर्तन किये जाते. नौ दिन तक नव दुर्गाओं का पूजन कर हवन किया जाता है.
(Vikram Samvat 2079 Uttarakhand)

भंडारे में पूरी, चना, हलवा, आलू की सब्जी परोसी जाती. चैत्र की नवरात्रियों में कुमाऊं में अनेक स्थानों में मेले भी लगते हैं जिनमें काशीपुर में बाल सुंदरी का चैती मेला, रुद्रपुर में अटरिया देवी का मेला व देहरादून में झंडेवाला मेला मुख्य है. पिथौरागढ़ में मनाया जाता है चैतोल और गुमदेश में लगता है चैत का मेला.

विक्रम संवत में दिन, सप्ताह और महिने की गणना सूर्य व चंद्रमा की गति पर आधारित है. यह काल गणना अंग्रेजी कलैंडर से आधुनिक व विकसित मानी गयी है. इसमें सूर्य,चन्द्रमा और ग्रहों के साथ तारों के समूह को भी जोड़ा गया है जिन्हें नक्षत्र कहा जाता है. एक नक्षत्र चार तारा समूहों से मिलकर बनता है. कुल नक्षत्रों की संख्या 27 बताई गयी है. सवा दो नक्षत्रों का समूह मिलकर एक राशि का निर्माण करता है.
(Vikram Samvat 2079 Uttarakhand)

नोटप्रो. मृगेश पाण्डे के लेख के आधार पर. मूल लेख यहां पढ़ें: चैत्र के महीने में उत्तराखंड के तीज-त्यौहार और परम्परा

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