Featured

जुगाड़ से तब भी भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान बना जा सकता था.

भारतीय क्रिकेट के इतिहास के शुरुआती दिन खासे विवादास्पद रहे थे. कई बार ऐसा हुआ कि प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को दरकिनार कर रईसज़ादे नवाबों और महाराजाओं को भारत का प्रतिनिधित्व करने के मौके मिले. भारत को अभी आज़ाद होना था और इंग्लैंड जाने वाली टीमों के मैनेजर अंग्रेज़ ही हुआ करते थे. खेल के मैदान के बाहर चलने वाली पार्टियों इत्यादि के लिए ज़रूरी समझे जाने वाले चतुर चापलूसीभरे अनुशासित आभिजात्य की समझ इन नवाबों रईसों को बचपन से ही होती थी लिहाज़ा अच्छा खिलाड़ी होना ही कोई बड़ी योग्यता नहीं माना जाता था.

१९३६ के इंग्लैंड दौरे में गई भारतीय टीम में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों का कोई अभाव नहीं था पर इतिहास गवाह है जिस तरह की कप्तानी में टीम ने खेल दिखाया वह अब तक सबसे ख़राब माना जाने लायक है. महाराजा विजयनगरम उर्फ़ विजी को इस टीम की कप्तानी सिर्फ़ इस वजह से मिली थी कि वे रईस थे और उनकी जान-पहचान का दायरा बहुत बड़ा था. विजी बहुत घमंडी तो थे ही प्रतिभाहीन भी थे. इस दौरे में उनकी सनक और घमंड का ठीकरा तत्कालीन भारत के सबसे प्रतिभाशाली क्रिकेटर लाला अमरनाथ के सिर फूटा.

फ़ील्ड पर अपने साथ लगातार किए जा रहे अन्यायपूर्ण व्यवहार के कारण जब दौरे के बीच लाला अमरनाथ ने ठेठ पंजाबी में अपने गुस्से का इजहार किया, विजी ने मैनेजर जोन्स समेत अन्य अधिकारियों से सांठगांठ की और लाला को अगले ही दिन भारत जाने वाली एक नाव में बिठवा कर ही दम लिया. इस कदम की बाकी खिलाड़ियों खासतौर पर सी.के. नायडू ने ख़ासी निन्दा की और लाला को वापस बुलवाने की मांग की पर कुछ नहीं हुआ. अखबार ‘बॉम्बे क्रॉनिकल’ ने लिखा: “लाला अमरनाथ एक अंग्रेज़ फ़ौजी और एक थर्ड-क्लास क्रिकेटर की मिलीभगत का शिकार हो गए!”

भारतीय टीम में सी.के. नायडू की अगुवाई में आधी टीम ने कप्तान बदलने की मांग छेड़ दी थी अलबत्ता इस सबसे बेजार अंग्रेज़ हुकूमत ने अगले ही हफ़्ते विजी को ‘सर’ की उपाधि से नवाज़ दिया.

लॉर्ड्स में हुए पहले टेस्ट में भारत नौ विकेट से पिटा. कूटनीति और शातिरपने में अपनी महारत दिखाते हुए कप्तान विजी ने कई कारनामे किए. कहा जाता है कि उन्होंने विजय मर्चेन्ट को रन आउट कराने के ऐवज में मुश्ताक अली को सोने की घड़ी देने का प्रस्ताव दिया था. इस बात के ठोस प्रमाण मौजूद हैं कि बका ज़िलानी नामक एक गुमनाम खिलाड़ी को भारत की ओर से एकमात्र टेस्ट खेलने का अवसर सिर्फ़ इस कारण मिला कि नाश्ते की मेज़ पर एक बार उन्होंने सी.के. नायडू का अपमान कर कप्तान का दिल जीत लिया था.

तीन टेस्टों में विजी ने सवा आठ रन प्रति पारी के हिसाब से कुल तैंतीस रन बनाए. बाकी प्रथम श्रेणी मैचों में उनके बनाए छः सौ रनों में से ज़्यादातर विपक्षी कप्तानों द्वारा उपहार में डलवाई गई फ़ुलटास और लांगहॉप गेंदों पर बने थे.

१९३७ में दौरे की समीक्षा करते हुए ब्यूमॉन्ट कमेटी ने पाया कि विजी को न तो फ़ील्ड लगानी आती थी न बैटिंगक्रम तय करना. लाला अमरनाथ पर लगाए गए इल्जाम झूठे पाए गए. पैसे और सामाजिक धौंस के बूते पर अर्जित की गई कप्तानी खु़द विजी के जीवन का दुस्वप्न बन गई. इस के बाद उन्होंने अगले बीस साल तक क्रिकेट से नाता तोड़ लिया.

१९५० के दशक में वे राजनैतिज्ञ, प्रशासक और ब्राडकास्टर के तौर पर वापस लौटे. उनकी उबाऊ कमेन्ट्री और झूठी शान से भरपूर टिप्पणियों ने उन्हें और भी अलोकप्रिय बनाया. उनके बारे में एक मनोरंजक किस्सा यूं है कि वे शेरों के शिकार के बारे में कहीं गप्पबाज़ी कर रहे थे. उनके हिसाब से वे तीन सौ से ज़्यादा शेरों को ठिकाने लगा चुके थे. जब वे शेर मारने की तकनीक समझा रहे थे तो श्रोताओं में उपस्थित वेस्ट इंडियन क्रिकेटर रोहन कन्हाई ने चुटकी ली: “क्या वाक़ई! मुझे लगता था कि ट्रांज़िस्टर ऑन करके उन्हें आपकी कमेन्ट्री सुनवाते हुए उबा कर मारा जाता होगा.”

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

1 day ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

5 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

5 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

5 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

5 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

5 days ago