Featured

साझा कलम – ३ : विवेक वत्स

[एक ज़रूरी पहल के तौर पर हम अपने पाठकों से काफल ट्री के लिए उनका गद्य लेखन भी आमंत्रित कर रहे हैं. अपने गाँव, शहर, कस्बे या परिवार की किसी अन्तरंग और आवश्यक स्मृति को विषय बना कर आप चार सौ से आठ सौ शब्दों का गद्य लिख कर हमें kafaltree2018@gmail.com पर भेज सकते हैं. ज़रूरी नहीं कि लेख की विषयवस्तु उत्तराखण्ड पर ही केन्द्रित हो. साथ में अपना संक्षिप्त परिचय एवं एक फोटो अवश्य अटैच करें. हमारा सम्पादक मंडल आपके शब्दों को प्रकाशित कर गौरवान्वित होगा. चुनिंदा प्रकाशित रचनाकारों को नवम्बर माह में सम्मानित किये जाने की भी हमारी योजना है. रचनाएं भेजने की अंतिम तिथि फिलहाल 15 अक्टूबर 2018 है. आज विवेक वत्स की रचना.  – सम्पादक.]

संत वैलेंटाइन और निम्मी भाई

– विवेक वत्स

बात 90 के दशक की शुरुआत की है. राजस्थान के धूल भरे एक जिले में एक क़स्बा है सुजानगढ़ जहाँ की खास बात ये है कि हिंदुस्तान के सैंकड़ों कस्बों की तरह उस की कोई खास बात नहीं है.

उसी शहर में कॉलेज पूरा करके मैं भी अपनी शामें चाय की दुकानों पर गर्क कर रहा था.

दिल्ली में रहने वाले अपने ममेरे भाइयों की बदौलत अंग्रेजी गानों की कुल जमा 6 कैसेट मेरे पास होने का नतीजा ये था कि “नयी चाल का लौंडा है” का तमगा मुझ पर पूरी तरह चस्पा था.

नए ज़माने और खुले बाजार की बयार का पहला झोंका आर्चीज़ गैलरी की शक्ल में आया था जिसे खोला था निर्मल जैन उर्फ़ निम्मी भैया ने. जहाँ मिलते थे हैप्पी बड्डे और न्यू ईयर वाले कार्ड्स जिसका इस्तेमाल स्कूल कॉलेज के लड़के लड़कियां कसकर कर रहे थे और बूढ़े पूरी जिम्मेदारी से नाक-भौं सिकोड़ रहे थे. मेरे साथ प्राइमरी स्कूल में पढ़े निम्मी भैया थोड़ा तुतलाते थे और बची खुची कसर पूरी करता था पान मसाले और जर्दे का मिच्चर. तो लम्बी बात करता था उनकी दुकान पर काम करने वाला मुन्ना.

सर्दियों के दिन सुबह सवेरे मुन्ना के हाथ संदेसा आया, भैया बुला रहे हैं. तो चाय और एक दोपहर गर्क कर पाने के लालच में मैं भी पहुँच गया. निम्मी भैया ने मुन्ना को भेजा बस स्टैंड से कचौरी लाने, मतलब 15 मिनट आने जाने के और 15 मिनट का भरोसा मुन्ना की हरामखोरी पर तो आधे घंटे का एकांत.

इधर उधर की जरूरी बात करने के बाद निम्मी भाई काउंटर के उस तरफ से थोड़ा आगे झुके और लगभग फुसफुसाते हुए बोले “यार विवेक ये सेंट वैलेंटाइन क्या होता है?”.

अब इस खरे दुकानदार के मुंह से मुहब्बत के संत का नाम सुन कर मैं सकते में! थोड़ी बात समझ में आयी और थोड़ी नहीं.

वैलेंटाइन डे क्या होता है, समझाया तो निम्मी भैया ने राज खोला ” तो अपन ये सेंट वैलेंटाइन के कार्ड -वार्ड लाएं तो माल बिकेगा क्या ? और क्या लाएं.”

“अरे क्यों नहीं यार निम्मी भिया , जरूर बिकेगा. आप लाओ तो.”

अपने नयी चाल का लौंडा होने के तमगे को बरक़रार रखने का दबाव मुझ पर भी कम नहीं था.

तो जब तक कचौरी आयी , रणनीति बनी कि क्या सामान प्रेमी जन उस कसबे में चोरी छुपे दे पाएंगे सो लाया जाये और कितना लाया जाए ताकि नुक्सान कम हो.

उस पूरे आधे घंटे निम्मी भैया ने पान मसाला जो नहीं खाया, वो बलिदान आज तक मुझे सिहरा देता है.

और अपनी कूड़ा तरकीबें दे कर जब मैं वहां से निकला तो खुद को किसी मार्केटिंग के उस्ताद से कम नहीं समझ रहा था.

तो कार्ड्स आये साहेब और उस साल तो उतने नहीं, लेकिन उस से अगले आने वाले सालों में खूब बिके और प्रेम का उत्सव सुजानगढ़ में भी युवाजन धूमधाम से मनाने लगे, जिसमें कई लड़के बहुत पिटे और कई नयी प्रेम कहानियों ने जन्म लिया.

आज भी निम्मी भाई से मिलता हूँ तो सोचता हूँ अपने कसबे में भारतीय संस्कृति के पतन के पीछे एक धक्का अपना भी है.

 

विवेक वत्स दिल्ली में रहते हैं. मूलतः राजस्थान के रहनेवाले हैं और फिलहाल कारपोरेट की नौकरी करते हैं. यह उनके अनुसार उनकी “लिखने की पहली कोशिश” है.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

कुमाउँनी बोलने, लिखने, सीखने और समझने वालों के लिए उपयोगी किताब

1980 के दशक में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के जूलॉजी विभाग में प्रवक्ता रहे पूरन चंद्र जोशी.…

4 days ago

कार्तिक स्वामी मंदिर: धार्मिक और प्राकृतिक सौंदर्य का आध्यात्मिक संगम

कार्तिक स्वामी मंदिर उत्तराखंड राज्य में स्थित है और यह एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल…

6 days ago

‘पत्थर और पानी’ एक यात्री की बचपन की ओर यात्रा

‘जोहार में भारत के आखिरी गांव मिलम ने निकट आकर मुझे पहले यह अहसास दिया…

1 week ago

पहाड़ में बसंत और एक सर्वहारा पेड़ की कथा व्यथा

वनस्पति जगत के वर्गीकरण में बॉहीन भाइयों (गास्पर्ड और जोहान्न बॉहीन) के उल्लेखनीय योगदान को…

1 week ago

पर्यावरण का नाश करके दिया पृथ्वी बचाने का संदेश

पृथ्वी दिवस पर विशेष सरकारी महकमा पर्यावरण और पृथ्वी बचाने के संदेश देने के लिए…

2 weeks ago

‘भिटौली’ छापरी से ऑनलाइन तक

पहाड़ों खासकर कुमाऊं में चैत्र माह यानी नववर्ष के पहले महिने बहिन बेटी को भिटौली…

2 weeks ago