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उत्तराखण्ड के उजाड़ घरों में बाघों का आशियाना और बेची जा रही बेटियां

उत्तराखण्ड राज्य के लिए जनता ने संघर्ष किये, बलिदान दिए. ख़ास तौर से पर्वतीय क्षेत्र की जनता को आस थी कि अपना राज्य होगा तो पहाड़ी इलाके उपेक्षित नहीं रहेंगे. राज बनने के बाद विकास का जो मॉडल सामने आया उसने साबित किया कि देहरादून भी उतना ही दूर है जितना लखनऊ था. चार मैदानी जिलों के सामने पर्वतीय जिलों की कोई सुध नहीं ली गयी, सरकार चाहे किसी भी पार्टी की रही हो. आज आयी दो ख़बरें राज्य की स्थिति का बयान करने को काफी हैं.

भारतीय वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिकों के शोध में खुलासा हुआ है कि पलायन की मार से उजड़े गांवों को तेंदुए आबाद कर रहे हैं. अमर उजाला के मुखपृष्ठ पर प्रमुखता के साथ छापी गयी खबर में इस चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा हुआ है.

भारतीय वन्य जीव संस्थान, देहरादून में वार्षिक शोध कार्यशाला में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दीपांजन नाहा ने खुलासा किया कि पौड़ी गढ़वाल के एकेश्वर, दमदेवल, कोटद्वार, सतपुली, पोखड़ा, खिर्सू आदि इलाकों में किये गए शोध में यह बात सामने आयी है.

इन इलाकों के खाली गांवों के बंजर मैदानों में उग आयी घास अब जंगली जानवरों के प्राकृतिक वास बनते जा रहे हैं. इन भुतहा गांवों के खाली मकानों तक में तेंदुओं की बस्तियां बस रही हैं. तेंदुओं की इस मौज ने प्रति 100 वर्ग किमी में उनकी संख्या को 13 तक पहुंचा दिया है. यहाँ उनके रहने के लिया पर्याप्त जंगल तो है ही मामूली आबादी वाले गाँवों में बचे-खुचे ग्रामीणों के पालतू जानवर उनका सुलभ आहार भी हैं.

कुल मिलाकर सरकारों ने बस्तियों को वीरान जंगल बना दिया गया है.

दूसरी खबर बनबसा से है. एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग इकाई ने बनबसा से शादी के नाम पर 2 लड़कियों का सौदा करने वाले छह लोगों को गिरफ्तार किया है. सितारगंज की मंजीत बाकायदा लड़कियों की सौदेबाजी करने वाले गिरोह का संचालन करती है. पुलिस द्वारा की गयी घेराबंदी में एक लड़की की कीमत डेढ़ लाख तय की गयी. हाल ही में ‘दा प्रिंट’ ने भी हरियाणा से अपनी एक रपट जारी की थी जिसमें हरियाणा के कई गाँवों में उत्तराखण्ड से लड़कियां खरीदकर लाने का खुलासा किया गया. पढ़िए- मोल की बहुएं

राज्य निर्माण को 2 दशक पूरे होने को हैं और प्रदेश की जनता दो जून की रोटी के लिए प्रदेश के ही मैदानी जिलों या महानगरों में खटने को मजबूर है. ग्रामीण दिल पर पत्थर रखकर अपनी बेटियों को औने-पौने दामों पर बेच रहे हैं. प्रसूताएं सड़कों पर बच्चे जन रही हैं. बीमार किलोमीटरों तक ढोकर इलाज के लिए ले जाए जा रहे हैं. घरों में तेंदुए रह रहे हैं.      

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Sudhir Kumar

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