Featured

एक हल्द्वानी-अल्मोड़ा कथा उर्फ़ संजू बाबू का एक और असफल प्रेम

संजू बाबू नैनीताल के एक बड़े अंगरेजी स्कूल से पढ़े थे. यह इकलौता तथ्य उन्हें अधिकार देता था कि वे अपने व्यवहार में एक सतत ठसका बनाए रखें. कपड़ों से लेकर घड़ी और म्यूजिक सिस्टम से लेकर जूतों तक हर चीज़ में उनकी पसंद बहुत नफ़ासतभरी होती थी. ज़माने तक हल्द्वानी भर के लौंडों में उनकी ऊंची चॉइस की मिसालें दिए जाने का चलन रहा.

मगर अपने यहाँ पहाड़ों में क्या है कि इस ठसके से आप बढ़िया सायंकालीन यारमंडल का निर्माण तो कर सकते हैं, किसी कन्या के साथ सिस्टम जमाने में इससे कोई खास मदद नहीं मिलती.

हल्द्वानी नगर में ट्रांसफार्मर तिरतीया पर्व

संजू बाबू आयु के उस फेरे में थे जब शरीर और आत्मा दोनों अहर्निश “सिस्टम बनाओ! सिस्टम बनाओ!” की चीखपुकार मचाये रखते हैं. अपरिहार्य माने जाने वाले इस सिस्टम के बनने तक आदमी किसी काम का नहीं रह जाता और उसे ल्यांग और हौकलेट जैसी उपाधियों से नवाज़े जाने के प्रोजेक्ट खुल जाते हैं. हमारे नगर हल्द्वानी के लड़के इस कार्यक्षेत्र में अपने को हर किसी का बाप समझते थे और एक हद तक कामयाब भी हो जाया करते थे.

अपनी नफ़ासत के मारे संजू भाई लम्बे समय तक असफल रहे. उन्हें किसी की सूरत पसंद नहीं आती थी कभी लड़की का सेन्स ऑफ़ ड्रेसिंग. किसी लड़की के उन्हें खानदान से दिक्कत होती थी तो किसी के चलने के ढंग से. नतीज़तन सब के ससिस्टमावस्था को प्राप्त हो चुकने के उपरान्त भी जब संजू सिस्टमहीन रह गए तो सब यारों को उनकी फ़िक्र हुई. उनके बेस्ट फ्रेंड गुल्लू गुलाटी ने तो क़सम भी खाई कि संजू बाबू की डबलिंग करवाने के बाद ही अपना तीसरा अफेयर शुरू करेंगे.

सुतली उस्ताद और फेसबुक

1988-90 के उस मोबाइलपूर्व युग में गुल्लू गुलाटी की खोज हल्द्वानी से सौ किलोमीटर दूर अवस्थित कथित रूप से सुन्दर स्त्रियों के शहर अल्मोड़ा में पूरी हुई. विश्वस्त सूत्रों की मदद से वहां संजू भाई के मतलब और मेयार की एक कन्या के फ्रेंडशिप हेतु उपलब्ध होने की सूचना आई थी. दोनों यार फ़ौरन से पेशतर अल्मोड़ा में थे. गुल्लू के स्थानीय कनेक्शन के माध्यम से एक रेस्तरां में रोंदेवू कार्यक्रम पहले से तय हो चुका था.

कन्या आई और पहली निगाह में संजू भाई को वह बना गयी जिसे मुहावरे में लट्टू कहा जाता है. बहुत कम बोलने वाली लम्बे कद की उस स्कर्टधारिणी की हर बात हमारे नायक को धीरे-धीरे अपने नशीले आगोश में लेती गयी. उक्त बाला से स्वयं सेट होने में हमारे नखरीले नायक ने मात्र पांच मिनट का समय लिया.

रेस्तरां था सो कुछ आर्डर किया जाना था. कन्या के कहने पर खोपड़ी पर बैठने को तत्पर बेयरे को तीन कोल्ड ड्रिंक लाने को कहा गया. बोतलें मेज़ पर धर दी गईं.

बच्चों की चड्ढी और होस्यार सुतरा

मुलाक़ात के दसवें मिनट में झन्डत्व की हालत में दोनों दोस्त वापस हल्द्वानी के रास्ते थे. कोल्डड्रिंक आने के दो मिनट बाद लड़की ने बेयरे को “भैया एक मिलट” कह कर अपने पास बुलवाया. सवा दोवें मिनट में पहले गुल्लू और फिर संजू बाथरूम जाने का बहाना बनाकर वहां से खिसक लिए. नड़ी होने से पहले बेयरे को रोड में बुलवाकर टिप समेत डेढ़ सौ रुपये थमाए गए.

जब बेयरा आया तो लड़की ने उससे कहा – “भैया जरा पीने को पैप ला देते हो कि!”

-अशोक पाण्डे

वाट्सएप में पोस्ट पाने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

View Comments

Recent Posts

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

16 hours ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

7 days ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

1 week ago

इस बार दो दिन मनाएं दीपावली

शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…

1 week ago

गुम : रजनीश की कविता

तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…

1 week ago

मैं जहां-जहां चलूंगा तेरा साया साथ होगा

चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…

2 weeks ago