पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भू-कानून को लेकर गठित अधिकारियों की कमेटी पर सवाल उठाये हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने भू-कानून की मांग को हवा-हवाई और भावनात्मक बताया. बातों-बातों में उन्होंने कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एन डी तिवारी के फैसले को सराहा और भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंडूरी की आलोचना की.
(TSR Criticized New CM Policy)
भू-कानून के संबंध में जारी एक बयान में कहा कि भावनाओं से खेला जा रहा है. जमीनी हकीकत पर जाना पड़ेगा. एकतरफ बात होती है कि पहाड़ों से पलायन हो रहा है वहां पर कोई उद्योग नहीं लग रहे हैं. वहां पर इंडस्ट्री डेवलप नहीं हो रही है दूसरी तरफ हम चाहते हैं वहां इन्वेस्टमेंट जाहे ही नहीं आखिर इन्वेस्टमेंट नहीं जायेगा तो फिर रोजगार कैसे… नये-नये रोजगार लोगों को मिलेंगे और इसलिये जो इनका प्रारूप है उसको सामने रखना चाहिये आखिर वो कैसा भू-कानून चाहते हैं?
पंडित नारायण दत्त तिवारी जब राज्य के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने 500 मी तक कृषि भूमि खरीदने का अधिकार दिया था जब माननीय भुवन चन्द्र खंडूरी राज्य के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने इसे घटाकर 250 मीटर कर दिया.
आज सरकार ने जब हम ग्लोबल इकोनॉमी की बात करते हैं इनवेस्टर को आमंत्रित करते हैं और एक देश दूसरे देशों को आमंत्रित करता हैं दुनिया के देश आप देखिए जो दुनिया के देश विकसित देश हैं वहां की इकोनॉमी में इन्वेस्टमेंट जब बाहर से आया तो तब वो विकास के चरम तक पहुंच सके.
(TSR Criticized New CM Policy)
तो हम क्या चाहते हैं हम विकास चाहते हैं या हम पहाड़ों को ऐसे ही रहने देना चाहते हैं कि वहां पहाड़ों में बंजर खेत हों वहां पर खेतों में जंगल उग रहे हों वहां पर जंगली जानवर रह रहे हों. इसलिये मेरा यह कहने का है कि अगर माना कि इनके पास कोई ऐसा फार्मूला हो तो वो फार्मूला इनको जनता के सामने रखना चाहिये ताकि उस पर एक अच्छी सकारात्मक बहस हो सके नहीं तो केवल और केवल यह भावनाओं से खेलने का काम हो रहा है.
पूर्व मुख्यमंत्री के बयान पर उनकी चारों तरफ आलोचना हो रही है और उन्हें राज्य विरोधी बताया जा रहा है. सोशियल मीडिया में उत्तराखंड की जनता पूर्व मुख्यमंत्री के बयान पर बेहद तीखी टिप्पणी कर रही है.
(TSR Criticized New CM Policy)
हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…
इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …
तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…
उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…