Featured

थाली का श्रृंगार बढ़ाने वाले शुद्ध पहाड़ी घी में बने पकवान

पहाड़ी घी में पहाड़ी भूमि से टीपे, खोदे, तोड़े मसालों के साथ पूरे सीप सिंगार से, थाली में पसके जाते एक दूसरे के साथ ओल मिला टपुक लगा भोग लगाए गए भोज्य पदार्थ. जिनका मेल भी खासम खास होता. (Traditional Uttarakhandi Food)

जैसे सिंगल के साथ ताज़ा दही और ककड़ी का रायता जिससे राई की झांस आए. बड़े वाले पहाड़ी मोटे या चार अंगुल वाले पके केले को हाथ से गजून दही चीनी मिला फेंट भी रायता बनता. पहाड़ी केले को पकने के लिए घोल में डलते जिससे इसका गूदा मुलायम हो जाता, पुआ बनाते भी, दही में केला पड़ता. सिंगल और पुए बासी खाने में और ज्यादा स्वाद लगते. 

अब आती बेडुआ रोटी जो सबसे अच्छी उर्द या माश को भिगा, छिलका उतार सिल बट्टे में पीस आटे की लोई में भर कर मंद आंच में पकाई जाती. चूल्हे की आंच में सेंकी जाती. फिर खूब सारा घी लगा गरमा-गरम दही सब्जी के साथ खायी जाती.

माश की दाल होती बहुत सुवाद पर भारी और गरिष्ठ. इसलिए हींग, जम्बू, गंद्रेणी, मेथी के बघार से इससे पैदा वायु का शमन कर दिया जाता. काले लूण का भी उपयोग होता जिसे गनेन लूण भी कहा जाता. 

उड़द की दाल के बड़े भी बनते, जिनमें बीच में छेद होता और तलते समय थोड़े काले भूरे तिल चिपका दिये जाते. बिना छेद वाले बड़े श्राद्ध के दिन बनते. कौवे के लिए जरूर रखे जाते.

माघ के महिने तो माश की खिचड़ी खुद भी खायी जाती और बामण को भी जिमाई जाती. मास के साथ चने की दाल, मलका, मसूर, ताजी मटर, मूंग की खिचड़ी भी बनती.

तबियत बिडोव होने, पेट अड़ने या छेरुवा लगने में भी खिचड़ी विघ्न बाधा दूर कर देती. फिर खिचड़ी की यारी दोस्ती भी घी न्योणि छांछ से ले कर मूली, निम्बू, अचार तक ठैरी ही. पापड़ तो बाद में जुड़ा. (Traditional Uttarakhandi Food)

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

जीवन भर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के कुल महाविद्यालयों में अर्थशास्त्र की प्राध्यापकी करते रहे प्रोफेसर मृगेश पाण्डे फिलहाल सेवानिवृत्ति के उपरान्त हल्द्वानी में रहते हैं. अर्थशास्त्र के अतिरिक्त फोटोग्राफी, साहसिक पर्यटन, भाषा-साहित्य, रंगमंच, सिनेमा, इतिहास और लोक पर विषदअधिकार रखने वाले मृगेश पाण्डे काफल ट्री के लिए नियमित लेखन करेंगे.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Girish Lohani

Recent Posts

नेत्रदान करने वाली चम्पावत की पहली महिला हरिप्रिया गहतोड़ी और उनका प्रेरणादायी परिवार

लम्बी बीमारी के बाद हरिप्रिया गहतोड़ी का 75 वर्ष की आयु में निधन हो गया.…

1 week ago

भैलो रे भैलो काखड़ी को रैलू उज्यालू आलो अंधेरो भगलू

इगास पर्व पर उपरोक्त गढ़वाली लोकगीत गाते हुए, भैलों खेलते, गोल-घेरे में घूमते हुए स्त्री और …

1 week ago

ये मुर्दानी तस्वीर बदलनी चाहिए

तस्वीरें बोलती हैं... तस्वीरें कुछ छिपाती नहीं, वे जैसी होती हैं वैसी ही दिखती हैं.…

2 weeks ago

सर्दियों की दस्तक

उत्तराखंड, जिसे अक्सर "देवभूमि" के नाम से जाना जाता है, अपने पहाड़ी परिदृश्यों, घने जंगलों,…

2 weeks ago

शेरवुड कॉलेज नैनीताल

शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…

3 weeks ago

दीप पर्व में रंगोली

कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…

3 weeks ago