समय है कि प्रधानमन्त्री के 50 दिन वाले दावे को याद किया जाए

8 नवम्बर 2016 की रात प्रधानमन्त्री द्वारा नोटबंदी की घोषणा ने लोगों को बुरी तरह चौंका दिया था. मोदी के धुर विरोधी भी इस नुस्खे के झांसे में आये बिना न रह सके. इसे काले धन पर जबरदस्त चोट बताया गया और माना भी गया. प्रधानमन्त्री ने राष्ट्र से नोटबंदी के चमत्कारी फायदे देखने के लिए 50 दिन का समय मांगा. उन्होंने घोषणा की, अगर मेरा नोटबंदी का फैसला गलत साबित हुआ तो 50 दिन बाद मुझे चौराहे पर जिन्दा जला देना.

अब जब आरबीआई द्वारा नोटबंदी के बाद बैंकिंग तंत्र में लौट आये अर्थात सफ़ेद धन का आंकड़ा आ गया है तो उस बयान को याद किया जाना लाजमी है. आरबीआई के अनुसार 99.3 प्रतिशत रुपया बैंकों के पास वापस आ गया है. आरबीआई के अनुसार मात्र .7 प्रतिशत यानि 10,720 करोड़ रुपये ही बैंकिंग सिस्टम में वापस नहीं आये. इसे भी काला धन इसलिए नहीं माना जा रहा है कि यह चलन में नष्ट हो चुकी, यादगार के तौर पर लोगों द्वारा सहेज ली गयी या फिर नेपाल, भूटान में अब भी चल रही भारतीय करेंसी हो सकती है. यहाँ यह भी देखा जाना चाहिए कि कई अति दुर्गम क्षेत्रों के ग्रामीण तथा अप्रवासी भारतीय भी अपने नोटों की बदली नहीं कर पाए थे.

दिलचस्प यह है कि इस तरह कुल 10,720 करोड़ रुपये बैंकों में नहीं आए और नए नोटों की छपाई पर 12,877 करोड़ रुपये खर्च किये गए. यानि काले धन का एक पैसा आया नहीं उलटे 2157 करोड़ रुपया छपाई में फूंक दिया गया. अब यह स्पष्ट है कि या तो देश में काला धन था ही नहीं या उसे सफ़ेद कर लिया गया. जैसा कि पिछले दिनों कुछ कोर्पोरेट बैंकों की संदिग्ध कार्यप्रणाली के सामने आये मामलों में दिखाई दिया. या फिर काला धन अन्य रूपों में अर्थव्यवस्था के बाहर-भीतर मौजूद है. इन आंकड़ों ने यह भी उजागर किया कि उन्हीं दिनों सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था में नकली नोटों के चलन को भी अतिरंजित कर प्रस्तुत किया था. कहा यह भी गया था कि नकली करेंसी पर पड़ने वाली यह चोट आतंकवाद की कमर तोड़कर रख देगी, कि आतंकवाद का बरगद नकली करेंसी के दम पर ही खड़ा है. आंकड़े बताते हैं नोटबंदी के बाद आतंकवाद की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है.

कुल मिलाकर जो नोटबंदी आम आदमी की जिंदगी में अनेक कष्ट लेकर आयी उसका नतीजा जीरो रहा. बैंकों की लाइन में कई लोगों ने दम तोड़ दिया, आम नागरिकों के ढेरों कार्यदिवस नोटबंदी की भेंट चढ़ गए. कई शादियां नहीं हो पायीं या बहुत कष्ट में हुईं.

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में २ फीसदी की गिरावट हुई, जैसा कि भूतपूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी कि घोषणा के बाद अनुमान जताया था. फलस्वरूप कई कारोबारी तबाह हो गए और लाखों लोग बेरोजगार हो गए.

ऐसे में यह स्वाभाविक ही है कि प्रधानमन्त्री के 50 दिन वाले दावे को याद किया जाए और उनसे जवाब माँगा जाये. यह भी समझने कि जरुरत है कि आखिरकार नोटबंदी का छिपा हुआ लक्ष्य आखिर था क्या.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Sudhir Kumar

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

2 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

6 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

6 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

6 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

6 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

6 days ago