Categories: कॉलम

सपने में भी भेड़ प्‍यासी है

शायदा 

चंडीगढ़ में रहने वाली पत्रकार शायदा  का गद्य लम्बे समय से इंटरनेट पर हलचल मचाता रहा है. इस दशक की शुरुआत से ही उनका ब्लॉग बहुत लोकप्रिय रहा. वे साहित्य, कला और संगीत के अलावा सामाजिक मुद्दों को अपना विषय बनाती हैं.

बचपन हमारे मन के सबसे अंदर वाले कमरे में रखे संदूक जैसा होता है. बड़े होना उस पर एक ताला लगा देने जैसा है. कई बार हम ताला खोलकर उसमें झांक लेते हैं तो कई बार चाभी को कहीं रखकर भूल जाते हैं. बड़े होते हैं और बुढ़ाते हुए मर भी जाते हैं. संदूक भी यूं ही बंद का बंद हमारे साथ चला जाता है. मुझे ये संदूक बहुत प्रिय है. मैंने इस पर कभी ताला नहीं लगाया. मैं इसमें खूब झांकती हूं. आज दोपहर वाली झपकी भी इस संदूक को छूकर गुज़री और सपने में मैं पहुंची मेरठ में अपने उस घर में जो अब हमारा नहीं है.

मैं दरअसल घर में नहीं पहुंची बल्कि घर के बाहर हूं. भेड़ ही भेड़ और बकरियां मेरा रास्‍ता रोक रही हैं. मैं हॉर्न बजाकर उन्‍हें हटाने की कोशिश करती हूं. वे हटती नहीं. आखिर मैं घर के पीछे वाले मैदान में पहुंचती हूं. मैदान एक नदी बन जाता है. जिसमें पानी की जगह भेड़ और बकरियां भरी हैं. वे मुझे रास्‍ता नहीं देतीं. मेरी आंख खुल जाती है. शदीद प्‍यास मुझे अपने होठों से लेकर गले तक महसूस होती है. काफी देर मैं यूं ही पड़ी रहती हूं. मुझे समझ आता है कि वे सारी भेड़ बकरियां प्‍यासी थीं. काफी देर तक मैं पानी नहीं पीती. ये मेरी कोशिश होती है उनकी प्‍यास में शरीक होने की.

ये सारी भेड़ बकरियां जो आज सपने में आईं, दरअसल मेरे बचपन का सच थीं. हमारे घर से कुछ दूर आर्मी का बूचड़खाना था और वहां काटे जाने के लिए अक्‍सर ट्रकों में भरकर भेड़ बकरियां लाई जाती थीं. ये ट्रक हमारे घर के पीछे वाले उस बड़े मैदान में अनलोड हुआ करते थे जो मेरठ कॉलेज की जमीन थी. ये वही मैदान है जहां किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत ने अपनी पहली ऐतिहासिक रैली की थी. लेकिन ये सब बाद की बाते हैं. मैं बता रही थी कि कैसे वहां ट्रक भर कर आया करते थे. अक्‍सर गर्मियों की रात को जब ये ट्रक अनलोड होते थे भेड़ो के चिल्‍लाने की आवाजें हमारे घर तक आतीं. कुछ भेड़ें बहुत बूढी तो कुछ गर्भवती तक होती थीं. कई बार बहुत छोटे मेमनों के साथ भी हम उन्‍हें देखा करते थे.

मुझे याद है कि जब जब ट्रक अनलोड होते हमारी मां की टेंशन बढ़ जाती. मैं मेरा भाई और मां हम सब मिलकर उन्‍हें पानी पिलाया करते थे. मां कहतीं…बेचारियां न जाने कब से भूखी प्‍यासी होंगी. जाने कब आखिरी बार पानी नसीब हुआ होगा. मरने से पहले कम से कम पानी तो पी लें. हमारे घर में उन दिनों हैंड पंप हुआ करता था. मैं और मेरा भाई नल चलाकर बारी बारी से बाल्‍टी भरते और मां जाकर उन्‍हें पिलाकर आतीं. ये सिलसिला बुरी तरह थक जाने तक चलता. मां दुआ मांगतीं…अल्‍लाह जल्‍दी से इस इलाके में पानी की लाइन बिछवा दे मैं कम से कम इन्‍हें पेटभर पानी तो पिला सकूं.

फिर … बचपन चला गया. हम उस घर से बहुत दूर आ गए. मैदान अब भी वहीं है. बूचड़ख़ाना भी! भेड़ बकरियां शायद अब भी वहां आती हों. उस इलाके में अब पाइप लाइन भी आ गई हैं. लेकिन क्‍या उनकी प्‍यास को अब भी वहां कोई महसूस कर रहा होगा….. पता नहीं. मुझे लगता है आज ज़रूर वहां भेड़ प्‍यासी होंगी … प्‍यास तो शाश्‍वत है ! उन्‍हें पानी कौन देता होगा पता नहीं … पर मां अब सड़क पर घूमने वाली गायों को पानी पिलाया करती हैं.

शायदा 

चंडीगढ़ में रहने वाली पत्रकार शायदा का गद्य लम्बे समय से इंटरनेट पर हलचल मचाता रहा है. इस दशक की शुरुआत से ही उनका ब्लॉग बहुत लोकप्रिय रहा. वे साहित्य, कला और संगीत के अलावा सामाजिक मुद्दों को अपना विषय बनाती हैं.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

2 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

6 days ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

6 days ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

6 days ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

6 days ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

6 days ago