जयमित्र सिंह बिष्ट

पूस के मौसम में पहाड़ और डूबते चांद का अद्भुत नज़ारा : फोटो निबंध

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये क्लिक करें – Support Kafal Tree

दुनिया सभ्यताओं में चांद और खूबसूरती एक दूसरे के पर्याय रहे हैं. आदिम से विज्ञान तक का सफ़र तय कर चुका इंसान प्रकृति के पीछे हमेशा से मोहित रहा है. चांद की खूबसूरती के मोह पर तो हजारों हजार ग्रंथ लिखे जा सकते हैं. कथा, कहानी, लोकगीत कुछ भी हो चाँद सब जगह मौजूद रहा है. अगर चांद को दुनिया भर में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला उपमान कहा जाए तो अतिश्योक्ति न होगी.
(The Waning Moon of the Full Moon)

दुनिया का कोई हिस्सा नहीं जहां से चांद खूबसूरत न दिखता हो. मरूस्थल में रहने वाले हों या समुद्र के करीब या रहते हों किसी पहाड़ की चोटी पर, चांद ने सबको अपनी मोहब्बत में गिरफ़्त कर रखा है. उम्र को कोई भी पड़ाव हो इंसान किसी न किसी तौर पर चांद से रिश्ता बनाकर रखता है.

चांद की रौशनी में नहाई रात चांद चांदनी रात कहलाती है. कुमाऊनी में चांदनी रात के लिए शब्द है जुन्याली रात. जुन्याली रात के मायने के मायने पहाड़ में रहने वाले खूब जानते हैं. पहाड़ के लोगों और चांद के बीच खूब म्याला रिश्ता है. अपने दिल की बात कहने के लिये वह सबके लिए उपलब्ध है, मां के भाई जैसा गहरा रिश्ता यूं ही तो किसी को हासिल नहीं होता.
(The Waning Moon of the Full Moon)

उगते हुए चांद की तस्वीरें आपने ख़ूब देखीं होंगी क्या कभी डूबते हुए चांद को देखा. रात भर पहाड़ों को दूधिया उजियारे में नहलाने वाला चांद, सूरज उगने से ठीक पहले अपना रंग बदलता है. ठंड के मौसम में डूबते चांद का रंग किसी नये तांबे के फौले जैसा हो जाता है और आसमान में अपने आस-पास रंगों का ऐसा कैनवास बनाता है जैसे कोई चित्रकार रंगों में सिद्धहस्त हो चुका हो.

बीती पूर्णिमा के अगले दिन काफल ट्री के अनन्य साथी जयमित्र सिंह बिष्ट ने रातभर अंधेरे को दूधिया उजियारे में बदल कर सूरज के उगने से पहले पहाड़ों के पीछे छिपने जा रहे चांद की तस्वीरें कैमरे में कैद की हैं. पूस के इस मौसम में पहाड़ और डूबते चांद का अद्भुत नज़ारा को तस्वीरों में देखिये –
(The Waning Moon of the Full Moon)

फोटो – जयमित्र सिंह बिष्ट
फोटो – जयमित्र सिंह बिष्ट
फोटो – जयमित्र सिंह बिष्ट
फोटो – जयमित्र सिंह बिष्ट
फोटो – जयमित्र सिंह बिष्ट

जयमित्र सिंह बिष्ट

अल्मोड़ा के जयमित्र बेहतरीन फोटोग्राफर होने के साथ साथ तमाम तरह की एडवेंचर गतिविधियों में मुब्तिला रहते हैं. उनका प्रतिष्ठान अल्मोड़ा किताबघर शहर के बुद्धिजीवियों का प्रिय अड्डा है. काफल ट्री के अन्तरंग सहयोगी.

इसे भी पढ़ें: शरद में बिनसर : फोटो निबंध

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

माँ का सिलबट्टे से प्रेम

स्त्री अपने घर के वृत्त में ही परिवर्तन के चाक पर घूमती रहती है. वह…

18 hours ago

‘राजुला मालूशाही’ ख्वाबों में बनी एक प्रेम कहानी

कोक स्टूडियो में, कमला देवी, नेहा कक्कड़ और नितेश बिष्ट (हुड़का) की बंदगी में कुमाऊं…

3 days ago

भूत की चुटिया हाथ

लोगों के नौनिहाल स्कूल पढ़ने जाते और गब्दू गुएरों (ग्वालों) के साथ गुच्छी खेलने सामने…

4 days ago

यूट्यूब में ट्रेंड हो रहा है कुमाऊनी गाना

यूट्यूब के ट्रेंडिंग चार्ट में एक गीत ट्रेंड हो रहा है सोनचड़ी. बागेश्वर की कमला…

4 days ago

पहाड़ों में मत्स्य आखेट

गर्मियों का सीजन शुरू होते ही पहाड़ के गाड़-गधेरों में मछुआरें अक्सर दिखने शुरू हो…

5 days ago

छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : जिंदगानी के सफर में हम भी तेरे हमसफ़र हैं

पिछली कड़ी : छिपलाकोट अन्तर्यात्रा : दिशाएं देखो रंग भरी, चमक भरी उमंग भरी हम…

5 days ago