उत्तराखंड एक ऐसा प्रदेश है जिसे प्रकृति ने अपनी बेशकीमती नियामतों से बख्शने में कोई कोताही नहीं बरती है. उत्तराखंड की ख़ूबसूरती की बात हो और मुनस्यारी का ज़िक्र न आये ऐसा इस काल में तो नहीं हो सकता. मुनस्यारी में चार चाँद लगाने को अनगिनत फैक्टर काम करते हैं. ऐसा ही एक फैक्टर है खलिया धुरा जिसे प्रचलित रूप में खलिया टॉप के नाम से जाना जाता है. प्रकृति प्रेमियों, एडवेंचर उत्साहितों और ट्रैकरों के लिए ये जगह जन्न्त का दर्ज़ा रखती है. माउंटेन बाइकिंग और बर्ड वाचिंग के लिए भी ये जगह मुफ़ीद है और लगातार इस दिशा में सम्वर्धन के प्रयास भी हो रहे हैं, और जाड़ों में यहाँ स्कीइंग और अन्य विंटर स्पोर्ट्स का आयोजन तो लगभग हर साल होता ही है.
ट्रैक की शुरुआत होती है बलाती बैंड मुनस्यारी से, अगर आप शुरुआती ट्रैकर है, तो 6 किमी. का चढ़ाई भरा ये ट्रैक काफ़ी मश्क्क़त भरा है. पर एक कहावत है कि “ट्रैकिंग के लिए ख़ास जूतों की ज़रूरत होती है और ख़ास आत्मा की भी” तो प्रकृति के नज़ारों में खो कर अनजान चिड़ियों की आवाज़ें सुनते हुए फैली हरियाली, बुरांश, और सुकून को सांसों में भर कर आप आगे बढ़ेंगे तो थकान छूमन्तर हो जाती है.
3 किमी. की दूरी पर भुजान नाम की जगह आती है जहाँ एकमात्र बसासत, 5 कमरों का के.एम.वी.एन. का अल्पाइन रिसोर्ट है, यूं तो मुनस्यारी से खलिया टॉप आना जाना एक दिन में मुमकिन है, पर अल्सुबह पंचाचूली के पीछे से खिलते सूरज के दिलकश नज़ारे और राज्य पक्षी मोनाल के दर्शन आप मिस नहीं करना चाहते, तो यहाँ रुकना ज़रूरी है. बहरहाल यहाँ से 3 किमी. की चढ़ाई करने पर आप पहुँचते हैं खलिया टॉप, इस उच्च हिमालयी बुग्याल में जाड़ो में बर्फ़ बिछी मिलेगी और बाकि मौसमों में नर्म घास. और यहाँ से जो रूहानी एहसास शुरू होता है, उसके लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है. आप ख़ुद महसूस करियेगा द खलिया फैक्टर.
एंकरिंग, कविता, फोटोग्राफी और थिएटर का शौक रखने वाले नीरज सिंह पाँगती अल्मोड़ा के रहने वाले हैं. वर्तमान में पी.जी. कॉलेज बागेश्वर में अंग्रेज़ी के अस्थाई प्रवक्ता हैं.
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-काफल ट्री डेस्क
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