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उत्तराखण्ड की अजिता बिष्ट को मिसेज सिंगापुर का टाइटल

कुछ कर गुजरने का इरादा और उसके लिए मेहनत करने का जज्बा हो तो हर मंजिल आसान है. इसकी मिसाल पेश की है सिंगापुर में रहने वाली उत्तराखंडी मूल की अजिता बिष्ट ने.

ढाई महीने तक कई चरणों में संपन्न हुई ‘मिसेज सिंगापुर-2019’ (Mrs Singapore 2019) प्रतियोगिता में अजिता को कुल 7 में से 2 टाइटल हासिल हुए. उन्हें मिसेज इलोक्वेंस (Eloquence) और मिसेज पॉपुलर क्वीन घोषित किया गया.

पिछले 9 सालों से सिंगापुर में आईटी प्रोफेशनल के तौर पर काम कर रहीं अजिता उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल की मूलनिवासी हैं. नैनीताल जिले में बेतालघाट का सुन्स्यारी उनका पुश्तैनी गाँव है.

अजिता के पिता राजस्थान विश्वविद्यालय में कार्यरत थे. इस वजह से उनकी स्कूली शिक्षा जयपुर के विभिन्न स्कूलों में हुई. स्कूली पढाई करने के बाद उन्होंने ‘स्टैनी मेमोरियल कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, राजस्थान विश्वविद्यालय’ से सूचना प्रौद्योगिकी विषय में बेचलर डिग्री हासिल की.

उत्तराखण्ड से खुद और अपने परिवार के गहरे जुड़ाव के बारे में अजिता बताती हैं कि वे हर साल गर्मियों की लम्बी छुट्टियां उत्तराखण्ड में अपनी नानी के घर में ही बिताती थीं. गाँव में बितायी गयी छुट्टियों के दौरान काफल, किल्मोड़ा, हिसालू, अपनी मौसियों के साथ जंगल में घास काटने और गाँव के मंदिर की सुनहरी यादें उनके जहन में आज भी ताजा हैं.

उत्तराखण्ड में अपने ननिहाल में बितायी गयी छुट्टियों के दौरान की पैदल यात्राएँ उन्हें बहुत रोमांचकारी लगा करती थीं. वे मानती हैं कि दरअसल इन्हीं पैदल यात्राओं ने उनके भीतर कड़ी मेहनत करने व चुस्त-दुरुस्त रहने का जोश और जज्बा पैदा किया.

पिछले 9 सालों से सिंगापुर के आईटी सेक्टर में काम कर रही अजिता वहां सामाजिक तौर पर भी सक्रिय हैं. वे ‘सिंगापुर कैंसर सोसायटी’ और बुजुर्गों की सेवा करने वाली ‘रेजिडेंशियल कमिटी’ की स्वयंसेवक भी हैं. उनकी साप्ताहिक छुट्टियां इन्हीं संस्थाओं के निस्वार्थ सेवा कार्यों में गुजारती हैं. अजिता बताती हैं कि सामाजिक सरोकारों के संस्कार उन्हें अपने पिता से मिले हैं, उनके पिता भी कई तरह की सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहा करते थे और जयपुर में पर्वतीय समाज की संस्था के अध्यक्ष भी रहे.

अजिता का मिसेज सिंगापुर- 2019 में भागीदारी करना भी बेहद मजेदार व चुनौतीपूर्ण रहा. उनके जीवन में किसी तरह के ब्यूटी कांटेस्ट में हिस्सा लेने का यह पहला मौका था. वे बताती हैं कि कॉलेज के दिनों में कभी उन्हें मिस फ्रेशर चुना गया था. मिस फ्रेशर चुने जाने के एक दशक बाद अचानक उन्हें एक सैलून में मैगजीन के माध्यम से इस सौन्दर्य प्रतियोगिता की जानकारी मिली. उन्होंने इस मौके को आजमाने का निश्चय किया और पेंजेट का हिस्सा बन गयीं.

अजिता की खूबसूरती के साथ-साथ वाकपटुता और हाजिरजवाबी ने भी जजों को प्रभावित किया और वे इस इवेंट के 24 फाइनलिस्ट में जगह बनाने में कामयाब रहीं. 10 हफ्ते तक चला यह इवेंट उनके लिए कई तरह से चुनौतीपूर्ण रहा. वे इस तरह के इवेंट में पहली दफा हिस्सेदारी कर रही थीं और वह भी काफी बड़े स्तर पर. अजिता के अलावा इस इवेंट के सभी फ़ाइनलिस्ट सिंगापुर से थे. वे एकमात्र भारतीय थीं.

अपने दृढ़निश्चय की बदौलत तमाम चुनौतियों से पार पाते हुए अजिता ने टॉप-5 में अपनी जगह पक्की की और आखिरकार इस प्रतियोगिता के 2 टाइटल हासिल करने में कामयाब रहीं.

अजिता की जिंदगी का यह नया अध्याय उनके पति हेमेन्द्र सिंह मनराल के सहयोग और प्रोत्साहन के बिना लिखा जाना शायद संभव नहीं हो पाता. मूलतः अल्मोड़ा के रहने वाले हेमेन्द्र और अजिता 2009 में विवाह बंधन में बंधे और इनकी 5 साल की बेटी भी है.

अजिता अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पिता स्व. इंदर सिंह बिष्ट को देती हैं. वे बताती हैं कि पहाड़ जैसे बुलंद हौसलों वाले उनके पिता ही उनके प्रेरणास्रोत हैं. उनके पिता ने उन्हें हर लक्ष्य को साधने के लिए जोश और जुनून के साथ आगे बढ़ते रहना सिखाया. अजिता कहती हैं कि वे आज जो भी हैं अपने पिता की ही प्रेरणा से हैं. वे महसूस करती हैं कि उनके पिता हमेशा उनके साथ हैं.

अजिता सिंगापुर में रह रहे उत्तराखण्ड समुदाय के लगभग 400 परिवारों और अन्य भारतीयों का भी शुक्रिया अदा करना नहीं भूलतीं जिनके समर्थन और वोटों ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई.

(काफल ट्री के लिए अजिता बिष्ट से सुधीर कुमार की बातचीत के आधार पर)

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Sudhir Kumar

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