Featured

इस आदमी की उपलब्धियों के बारे में जानकर बस हैरत हो सकती है

आधुनिक इतिहास में जब भी महान खिलाड़ियों की चर्चा हो, सी. बी. फ़्राइ का नाम ज़रूर लिया जाना चाहिये. इस आदमी की उपलब्धियों के बारे में जानकर बस हैरत हो सकती है. इंग्लैंड की क्रिकेट टीम के अजेय कप्तान रहे चार्ल्स बर्जेस फ़्राइ ने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में पचास की औसत से करीब इकत्तीस हज़ार रन बनाए. उन्होंने कुल चौरानवे शतक लगाए. १९०१ के सीज़न में उन्होंने छः लगातार पारियों में तिहाई का आंकड़ा छुआ. फ़्राइ ने फ़ुटबाल में भी अपने देश का नेतृत्व किया. साउथैम्प्टन के साथ खेलते हुए उन्होंने अपनी टीम को प्रतिष्ठित एफ़. ए. कप के फ़ाइनल में पहुंचाया. आक्सफ़ोर्ड यूनिवरसिटी, ब्लैकहीथ और बारबेरियन्स जैसे नामचीन्ह क्लबों के साथ उन्होंने रग्बी खेली. और हां १८९३ में उन्होंने लम्बी कूद का विश्व रेकार्ड कायम किया.

मानो खेल का क्षेत्र उनके लिए छोटा पड़ रहा हो वे काफ़ी सफल उपन्यासकार और लेखक, सम्पादक और प्रकाशक भी रहे. वे एक अच्छे अध्यापक के तौर पर भी जाने जाते थे. लम्बे समय तक पत्रकारिता और रेडियो कमेन्ट्री से जुड़े रहे सीबी ने करीब दर्ज़न भर किताबें लिखीं. अपने जीवन के अन्तिम वर्षों में वे इंग्लैंड की राजनीति में खासे चर्चित लिबरल थे. उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि जब वे फ़कत इक्कीस साल के थे, ‘वैनिटी फ़ेयर’ नामक प्रख्यात पत्रिका ने उन पर एक लेख छापा और टिप्पणी की: “कभी कभी उन्हें सीबी के नाम से पुकारा जाता है अलबत्ता लोगों की मांग यह भी है कि उन्हें सम्राट चार्ल्स तृतीय कह कर सम्बोधित किया जाए. जान आर्लट नामक सामाजिक-इतिहासकार के अनुसार चार्ल्स फ़्राइ किसी भी युग में जन्मे सर्वप्रतिभावान अंग्रेज़ थे.

२५ अप्रैल १८७२ को जन्मे सी बी फ़्राइ को सबसे अधिक प्रतिष्ठा क्रिकेट ने दिलाई और इसी वजह से उन्हें याद भी किया जाता है. जब उन्होंने उनचास साल की आयु में खेलना बन्द किया तो फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट में दस हज़ार से ज़्यादा रन बना चुके खिलाड़ियों की लिस्ट में उनसे बेहतर एवरेज केवल रंजीतसिंहजी का था. गौरतलब है कि रंजीतसिंहजी और सीबी दोनों ने लम्बे समय तक एक ही टीम ससेक्स के लिए खेला था. उनके पुत्र स्टीफ़न फ़्राइ, पौत्र चार्ल्स फ़्राइ और चचेरे भाई केनेथ फ़्राइ सभी ने फ़र्स्ट क्लास क्रिकेट खेली. जैसा ऊपर बताया गया सीबी की कप्तानी में इंग्लैंड कभी नहीं हारा. क्रिकेट की उनकी समझ के कारण १९२१ में उन्हें दुबारा कप्तानी आफ़र की गई पर उन्होंने मना कर दिया.

रंजीतसिंहजी उर्फ़ रंजी से उनकी अच्छी दोस्ती थी जो लम्बे समय तक कायम रही. बाद के दिनों में जब रंजी नवानगर के जामसाहिब बने तो ब्रिटिश सरकार ने उन्हें लीग आफ़ नेशन्स में उन्हें मनोनीत किया. रंजी ने अपने दोस्त को याद किया और अपने साथ भारतीय शिष्टमंदल का सदस्य बनाकर उन्हें जेनेवा ले गए. इसके बाद का समय उन्होंने लेखन, राजनीति, शिक्षण और कमेन्ट्री को दिया.

वे किसी यूनानी देवता की तरह हैंडसम और ताकतवर थे और हर मैदान पर उसी तरह का प्रदर्शन भी करते थे, इसके बावजूद ऐसी बात नहीं कि सीबी का जीवन किसी स्वप्न की भांति केवल उपलब्धियों से ही भरा हुआ था. १९२० के दशक के दौरान उन्हें मानसिक परेशानियां होनी शुरू हुईं. इसकी पृष्ठभूमि में उनका त्रासद वैवाहिक जीवन था. उन्हें अक्सर नर्वस ब्रेकडाउन का शिकार होना पड़ता था जिसके कारण स्थितियां यहां तक पहुंचीं कि कुछ समय को वे हिटलर के अन्यतम भक्त बन गए थे. बाद बाद के सालों में उनका स्वास्थ्य काफ़ी सुधर गया था.

सीबी को लेकर इतने सारे किस्से कहानियां उपलब्ध हैं कि उनके बारे में लिखने को हज़ार पन्ने कम पड़ जाएंगे. उनके जीवन का एक अद्भुत किस्सा यूं भी है कि लीग आफ़ नेशन्स की जेनेवा समिट के दौरान उन्हें अल्बानिया के सम्राट की गद्दी दिए जाने का प्रस्ताव किया गया था जिसे उन्होंने विनम्रतापूर्वक नकार दिया.

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

डी एस बी के अतीत में ‘मैं’

तेरा इश्क मैं  कैसे छोड़ दूँ? मेरे उम्र भर की तलाश है... ठाकुर देव सिंह…

2 days ago

शराब की बहस ने कौसानी को दो ध्रुवों में तब्दील किया

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की जन्म स्थली कौसानी,आजादी आंदोलन का गवाह रहा कौसानी,…

5 days ago

अब मानव निर्मित आपदाएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं : प्रोफ़ेसर शेखर पाठक

मशहूर पर्यावरणविद और इतिहासकार प्रोफ़ेसर शेखर पाठक की यह टिप्पणी डाउन टू अर्थ पत्रिका के…

6 days ago

शराब से मोहब्बत, शराबी से घृणा?

इन दिनों उत्तराखंड के मिनी स्विट्जरलैंड कौसानी की शांत वादियां शराब की सरकारी दुकान खोलने…

6 days ago

वीर गढ़ू सुम्याल और सती सरू कुमैण की गाथा

कहानी शुरू होती है बहुत पुराने जमाने से, जब रुद्र राउत मल्ली खिमसारी का थोकदार…

6 days ago

देश के लिये पदक लाने वाली रेखा मेहता की प्रेरणादायी कहानी

उधम सिंह नगर के तिलपुरी गांव की 32 साल की पैरा-एथलीट रेखा मेहता का सपना…

1 week ago