Satire by Priy Abhishek

प्रथम संस्करण की प्रस्तावना

प्रथम संस्करण की प्रस्तावना लिखते हुए मुझे उतना ही हर्ष हो रहा है जितनी मेरे साथी साहित्यकारों को प्रस्तावना पढ़ते…

4 years ago

कोऊ न जानत कवि की पत्नी के मन की पीर

“कब से ऐसा महसूस हो रहा है?” “ये क्या बकवास है? अरे इसमें महसूस जैसा क्या है, मैं हूँ कवि,…

4 years ago

एक गुच्छा बयंगकार के साथ ढाई किलो कबि

"कवि हैं, अच्छे वाले?" "बहिनी कौन सा, नया, कि पुराना?" "भैया पिछली बार पुराने कवि ले गई थी, सब मीठे…

4 years ago

अपने देश में शायरों के जो किस्से चलते हैं उनसे लगता है कि वे पढ़ते-लिखते नहीं थे

कुछ दिनों पहले एक बड़े शायर की संक्षिप्त जीवनी और उनकी रचनाएँ पढ़ने का अवसर मिला. उनकी जीवनी कुछ इस…

4 years ago

क्या हम इतने बुरे थे

कल कमाल हो गया. हम लिखते और देखते ही रह गए और हमारा मित्र अमर हो गया. कल आलोचक जी…

4 years ago

अभिमन्यु चक्रव्यूह में फंस गया है तू : दंतकथा

जीवन का दर्शन, जीवन का महात्म्य, जीवन के साथ ही समझ आता है. समय सबसे बड़ा शिक्षक है. आयु कहीं-न-कहीं…

5 years ago

वह कवि था घटना पर कविता लिख रहा था

इस घटना से सभी चिंतित थे. पुलिस मौके की जाँच कर रही थी. पत्रकार मौके से रिपोर्ट कर रहा था.…

5 years ago

लॉक डाउन होने से ‘कवायरस’ तेजी पकड़ गया है : व्यंग्य

कोरोना वायरस के कारण पूरा देश लॉक डाउन कर दिया गया है. सभी अपने घरों में कैद हैं. लॉक डाउन,…

5 years ago

अरुण यह मधुमय देश हमारा

शाम को टहलते हुए सोच रहा था कवि ने ऐसा क्यों कहा -  अरुण यह मधुमय देश हमारा? वह कह…

5 years ago

गांव की चौपाल पर टीवी

गाँव की चौपाल पर एक छोटा सा टीवी लगा था. टीवी और जगह भी लगे थे ,पर वे एंटीने वाले…

5 years ago