Sanjay Vyas

तो क्या ऐसे में तुम मुझसे प्रेम कर पाओगे?

तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो ? … और इसके उत्तर में काफ़ी देर शून्य में ताकता रहा.…

5 years ago

धरती के युद्ध धरती पर ही लड़े जायेंगे

जिस जगह वो रहता था उस जगह के आगे कोई बस्ती नहीं थी. गाँव के छोर से आगे जाने की…

5 years ago

किसी कोने में लटकी लालटेन कहीं कहीं उजाले के धब्बे छोड़ती है

एक लालटेन का जलना क्या खुद लालटेन के लिए एक त्रासदी है? उसकी रौशनी की सेहत, उसकी तबीयत का मिज़ाज…

5 years ago

भटकने का अपना सुख है

माचिस की डिबिया -संजय व्यास तीली माचिस की हरेक तीली की नोक पर पिछले दस हज़ार सालों का इतिहास दर्ज़…

6 years ago

खिड़की में खड़ी सपनों की रानी

दुनिया या प्रेम में खुलती खिड़की -संजय व्यास डाकिया आज भी उसे कायदे से नहीं जान पाया था भले ही…

6 years ago

आदमी उस तहखाने के नाम से डरता था

भय के कोने भय से निजी कुछ नहीं. कुछ पल हर आदमी के जीवन में लौट लौट कर आते हैं…

6 years ago

रंग उसे बीजगणित की जटिल वीथियों में ले जाते थे

मून फ्लोरिस्ट वो जब भी इस दुकान के आगे से गुज़रता, हल्का सा ठिठक जाता.. . और सोचने लगता कि…

6 years ago

क्या एक गमले की मिट्टी काफ़ी है इस वैभव को सींचने में

फ़ीके रंग वाला फूल कितने आक्रामक लगते है ये चटख रंग. कांच के टुकड़ों की तरह आँखों में घुसे जाते…

6 years ago

इंडियन स्पाइसेज़

(1) वो ज़्यादातर चुप रहता था. इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता था किउसकी आदत…

6 years ago

तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो

तुम प्रेम में इतने डरे डरे क्यों हो ? … और इसके उत्तर में काफ़ी देर शून्य में ताकता रहा.…

6 years ago