Prbhat Upreti

काफल तोड़ने वाले लड़के और बूढी चुड़ैल की लोककथा

एक इन्दरू मोल्या था. उसके माँ बाप नहीं थे. वह गायों के साथ रहता था. एक दिन वह गाय चरा…

3 years ago

पिथौरागढ़ के अनछुये इतिहास के किस्से और प्रभात उप्रेती का आत्म-साक्षात्कार

ऐसा कुछ कर जाएं यादों में बस जाएंऐसा कुछ कर जाएं यादों में खो जाएंयारा दिलदारा मेरा दिल कर दा…

3 years ago

दो सैंणियों वाले कव्वे की रीस: उत्तराखंडी लोककथा

एक कव्वा था. उसकी दो सैंणियाँ थीं. एक नई जवान देखणंचाणं थी, दूसरी उतनी सुन्दर तो नहीं थी. पर होशियार…

3 years ago

ग्यांजू: एक जोशीले सरल पहाड़ी की लोककथा

वह एक तो शरीर से टेढ़ा-मेढ़ा बेढब था, दूसरा दिमाग से पैदल था. कोई भी बात उसकी समझ में देर…

3 years ago