Poem

मोबाइल पर उस लड़की की सुबहमोबाइल पर उस लड़की की सुबह

मोबाइल पर उस लड़की की सुबह

मोबाइल पर उस लड़की की सुबह-वीरेन डंगवाल सुबह-सवेरेमुँह भी मैलाफिर भी बोलेचली जा रहीवह लड़की मोबाइल पररह-रहचिहुँक-चिहुँक जाती हैकुछ नई-नई-सी…

6 years ago
जब सिल्ला वाले रात का खाना खाते हैं तब चिल्ला वाले सो चुके होते हैंजब सिल्ला वाले रात का खाना खाते हैं तब चिल्ला वाले सो चुके होते हैं

जब सिल्ला वाले रात का खाना खाते हैं तब चिल्ला वाले सो चुके होते हैं

सिल्ला और चिल्ला गाँव - लीलाधर जगूड़ी हम सिल्ला और चिल्ला गाँव के रहनेवाले हैंकुछ काम हम करते हैं कुछ…

6 years ago
फादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविताफादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविता

फादर्स डे स्पेशल : वीरेन डंगवाल की कविता

रूग्‍ण पिताजी रात नहीं कटती ? लम्‍बी यह बेहद लम्‍बी लगती है ? इसी रात में दस-दस बारी मरना है…

6 years ago
फादर्स डे स्पेशल: मंगलेश डबराल की कविताफादर्स डे स्पेशल: मंगलेश डबराल की कविता

फादर्स डे स्पेशल: मंगलेश डबराल की कविता

पिता की तस्वीर मंगलेश डबराल पिता की छोटी छोटी बहुत सी तस्वीरें पूरे घर में बिखरी हैं उनकी आँखों में…

6 years ago
फादर्स डे स्पेशल: चंद्रकांत देवताले की कविताफादर्स डे स्पेशल: चंद्रकांत देवताले की कविता

फादर्स डे स्पेशल: चंद्रकांत देवताले की कविता

दो लड़कियों का पिता होने से -चंद्रकांत देवताले पपीते के पेड़ की तरह मेरी पत्नी मैं पिता हूँ दो चिड़ियाओं…

6 years ago
तब देख बहारें होली कीतब देख बहारें होली की

तब देख बहारें होली की

अठारहवीं शताब्दी के आगरा के शायर नजीर अकबराबादी (Nazeer Akbarabadi 1740-1830) ने अपने आसपास के साधारण जीवन पर तमाम कविताएँ…

6 years ago
उसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता हैउसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता है

उसका विवेक फांसी के लीवर की तरह होता है

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 7 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
ऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिएऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिए

ऐसी दुर्लभता को बचाया ही जाना चाहिए

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
जब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहलजब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहल

जब तक सामर्थ्य है देखूंगा दुनिया की सारी चहल-पहल

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 5 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago
जिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतरजिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतर

जिसे हँसने की तमीज नहीं वो भी जाए भीतर

हरीश चन्द्र पाण्डे की कविताएँ - 4 अस्सी के दशक में समकालीन कविता में जिन महत्वपूर्ण कवियों ने पहचान बनायी…

6 years ago