बरसात के दिनों धुले हुये पहाड़ अपने नये रंग में दिखते हैं. चटख हरे रंग की हरियाली और ऊंचे पहाड़ों…
गुलज़ार की नज़्म 'बादल '- 'कल सुबह जब बारिश ने आ कर खिड़की पर दस्तक दी थी नींद में था मैं... बाहर अभी …