Nazeer Akbarabadi

तब देख बहारें होली की

अठारहवीं शताब्दी के आगरा के शायर नजीर अकबराबादी (Nazeer Akbarabadi 1740-1830) ने अपने आसपास के साधारण जीवन पर तमाम कविताएँ…

5 years ago

हमें अदाएँ दीवाली की ज़ोर भाती हैं

आज से कोई तीन सौ बरस पहले आगरे में एक बड़े शायर हुए नज़ीर अकबराबादी. नज़ीर अकबराबादी साहब (1740-1830) उर्दू…

6 years ago

जन्माष्टमी पर विशेष: नज़ीर अकबराबादी की नज़्म “यारो सुनो ये ब्रज के लुटैया का बालपन”

आज से कोई तीन सौ बरस पहले आगरे में एक बड़े शायर हुए नज़ीर अकबराबादी. नज़ीर अकबराबादी साहब (१७४०-१८३०) उर्दू…

6 years ago