Laxman Singh Bisht Batrohi

क्या फर्क रह गया है लघु और बड़ी पत्रिकाओं में?

लघु पत्रिका आन्दोलन की शुरुआत व्यावसायिक पत्रिकाओं को चुनौती देने के उद्देश्य से हुई थी. साठ के दशक में ‘समानांतर’…

5 years ago

कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति का तुगलकी फरमान

इन दिनों उत्तराखंड में कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति अपने ऊलजलूल बयानों के कारण चर्चा में हैं. हाल ही में उनके…

5 years ago

कलकत्ता कथा समारोह 1982 : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती थी

भारतीय भाषाओं के शीर्षस्थ कथाकारों का समागम : ‘कलकत्ता कथा समारोह, 1982’ : जब भारतीय भाषाओं का नेतृत्व हिंदी करती…

5 years ago

कठपतिया का श्राप

कठपतिया का श्राप चारों ओर छोटे-छोटे पत्थरों से एक गोल घेरा बनाया जाता था जिसके बीच कोई भी आदमी –…

5 years ago

भारत की पहली लड़ाका कौम : काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा

काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा: भारत की पहली लड़ाका कौम, जो कभी हिमालय से ओड़िसा तक फैली…

5 years ago

बाबर के साथ क्या रिश्ता था गुलशेर खां शानी और रहमतुल्ला का

इन दिनों शानी बहुत याद आ रहे हैं. 1965 में जब अक्षर प्रकाशन से उनका उपन्यास ‘काला जल’ प्रकाशित हुआ…

5 years ago

पचास साल पहले इलाहाबाद में कथाकार अशोक कंडवाल के साथ: प्रेमचंद और उनके बेटे की स्मृतियां

अपनी जिंदगी के किसी पुराने टुकड़े को एकदम जीवंत रूप में देखना कितना रोमांचकारी होता है, इसका अहसास मुझे कुछ…

5 years ago

गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से

गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से --बटरोही मेरा जन्म अल्मोड़ा जिले की मल्ला सालम पट्टी के छानागाँव में हुआ था.…

5 years ago

देवीधूरा का पाषाण युद्ध और पृथ्वी की प्रतीक बाराहीदेवी का मंदिर

काली कुमाऊँ योद्धाओं का क्षेत्र है, अतः यहाँ की सभी परंपराएँ शक्ति (ताकत) से जुड़ी हुई हैं. दानवों की भूमि…

5 years ago