दुनिया की सब माँ ये एक सरीखी होती हैं आज इतवार के चलते अपन अलसाए से लेते रहे. कई बार…
सूरज भाई गुलगपाड़ा सुनकर गर्मा गये आज सुबह जरा जल्दी जग गये. सूरज भाई का इन्तजार करते उधर देखते रहे…
भाई साहब, त्योहारों से ऐन पहले सड़क किनारे के बिजली के ख़म्भों पर चढ़ जाते हैं. आप यह मत सोच…
दुआओं के एंटीबॉयटिक का फ़ौरन असर होता है सूरज भाई पेड़ की फ़ुनगियों से झांक रहे हैं. पीटी मास्टर सरीखे…
भारत को चाहिए जादूगर और साधु - हरिशंकर परसाई हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को मैं सोचता हूँ कि…
हेडमास्टर साहब, मस्तमौला आदमी थे. टेंशन बिल्कुल नहीं पालते थे. बरसात के दिनों को छोड़कर, सालभर कक्षाएँ बाहर लगती थीं.…
धूप अलसाई सी लेटी है सुबह दरवाजा खोलते ही धूप दिखी. एकदम दरवज्जे तक आकर ठहरी हुयी सी. जैसे सूदूर…
(पिछली कड़ी – सूरज की मिस्ड काल भाग- 2) गुलाबी जाड़े की एक सुबह सुबह उठकर चाय मुंह धो लिये हैं.…
(पिछली कड़ी - सूरज की मिस्ड काल भाग- 1) न जाने नछत्रों से कौन, निमंत्रण देता मुझको मौन – सुमित्रानंदन…
आज सुबह जगे तो देखा कि सूरज की चार ठो मिस्ड काल पड़ी थीं. उठकर बाहर आये. सोचा फ़ोन मिलाकर…