Hindi Literature

भारतीय किसान गोदान के ‘होरी’ से आज कितने बेहतर हैं?

मुंशी प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) पर विशेष Remembering Munshi Prem Chand on his Anniversary वर्तमान परिदृश्य में यदि नीति- नियन्ताओं…

4 years ago

भारत की पहली लड़ाका कौम : काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा

काली-कुमाऊँ के ‘पैका’ और उड़ीसा के ‘पाइका’ योद्धा: भारत की पहली लड़ाका कौम, जो कभी हिमालय से ओड़िसा तक फैली…

5 years ago

अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा

अब मैं सूरज को नहीं डूबने दूंगा - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना देखो मैंने कंधे चौड़े कर लिये हैं मुट्ठियाँ मजबूत…

5 years ago

माँ शिवरानी देवी, प्रेमचंद और सास सुभद्रा कुमारी चौहान

इस पोस्ट को पिछली पोस्ट के क्रम में पढ़िए. पिछली पोस्ट का लिंक: पचास साल पहले इलाहाबाद में कथाकार अशोक…

5 years ago

गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से

गुमदेश के मेरे पुरखों के किस्से --बटरोही मेरा जन्म अल्मोड़ा जिले की मल्ला सालम पट्टी के छानागाँव में हुआ था.…

5 years ago

लीलाधर जगूड़ी को वर्ष-2018 का व्यास सम्मान

प्रसिद्ध कवि लीलाधर जगूड़ी जी को उनकी काव्य रचना ‘जितने लोग उतना प्रेम’ के लिए अखिल भारतीय बिड़ला फाउंडेशन का…

5 years ago

इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : सातवीं क़िस्त

हिंदी में लुगदी, पेशेवर और श्रेष्ठ साहित्य का विभाजन   थोड़ा-सा चर्चित हो जाने के बाद हिंदी का लेखक बहुत…

6 years ago

इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : छठी क़िस्त

फूलन और मनोहरश्याम की जुबान के बगैर कोई लेखक बन ही कैसे सकता है जैसे पराई धरती पर पौधा नहीं…

6 years ago

इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : पांचवीं क़िस्त

पंडित प्रतापनारायण मिश्र के ‘ब्राह्मण’ और डकैत फूलन देवी के ‘ठाकुर’ पिछली बार हमारा किस्सा इस बात के जिक्र पर…

6 years ago

इतने विशाल हिंदी समाज में सिर्फ डेढ़ यार : चौथी क़िस्त

हिंदी की नई पौध के लिए एक चिट्ठी : नसीहत नहीं, ‘हलो’ मेरे नए रचनाकार दोस्तो! आज से करीब पचपन…

6 years ago