नाहिद में 'यादों की बारात' लगी थी. जमाने के टाइम के तकाज़े के हिसाब से हम चार दोस्त जीनातमान के…
फिल्म दिल्लगी(1978) में सट्ल ह्यूमर (Subtle humour) की श्रेष्ठ बानगी देखने को मिलती है. फिल्मकार ने, मानव- स्वभाव के सूक्ष्म…
बहुत से लोग आज इस बात को यक़ीन से कहते हैं कि धर्मेन्द्र ने अपना करियर बनाने के लिए मीनाकुमारी…
दुनिया में कामयाबी के लिए काबिलियत होना जितना जरुरी है उतना ही जरुरी किस्मत का होना भी है. कभी-कभी जिंदगी…