Bhuwan Chandra Pant

कुमाऊं के रणबांकुरों की विरासत है छोलिया नृत्य

कुमाऊं की बेजोड़ सांस्कृतिक परम्पराओं व लोककलाओं का अपना समृद्ध इतिहास रहा है. इन लोकपरम्पराओं की जड़ें हमें अपने इतिहास…

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गन्ज्याड़ू: पथरीले पत्थरों के बीच उगने वाले पहाड़ी पेड़ के वजूद की दास्तां

वाह रे! तू भी क्या किस्मत लेकर आया इस दुनियां में. पथरीले पत्थरों के बीच से तेरा ये दीदार बहुत…

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उतरैणी के बहाने बचपन की यादें

असौज का सारा कारोबार समेटकर जाड़ों में जब सारे काम निबट जाते तो हमारी बुब (बुआ) कुछ समय के लिए…

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मेल-मिलाप पसन्द प्रताप भैया का अनमेल व्यक्तित्व: जन्मदिन विशेष

प्रताप भैया यदि हमारे बीच होते तो 88 वर्ष आज के दिन पूरे करते. दस वर्ष पूर्व संसार से विदा…

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सिद्धों व सन्तों की तपोभूमि भी रहा भवाली क्षेत्र

भवाली, कुमाऊं क्षेत्र का प्रवेश द्वार होने के कारण देश के दूरदराज के क्षेत्रों से आने वाले परिब्राजक बद्रीनाथ, केदारनाथ…

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अनपाशणि से पहले पिछले जन्म की सारी बातें याद रहती हैं

’प्राणो वा अन्नः’ अन्न ही प्राण है, यह वेदोक्त बात है. अन्न को ब्रह्म का स्वरूप भी कहा गया है,…

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भाव अभिव्यक्ति की गजब क्षमता रखते हैं कुमाऊनी के एकाक्षरी शब्द

हिन्दी भाषा में जहां एक अक्षर के शब्दों का प्रयोग अधिकांशतः कारक के रूप में ने, से, को, का, के,…

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सदियों पहले श्यामखेत का पूरा भूभाग एक झील था

भवाली, कुमाऊॅ की यात्रा के लिए एक मुख्य जंक्शन होने के साथ ही रामगढ़, मुक्तेश्वर, तितोली, हरतफा, निगलाट जैसी फल…

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पहाड़ की बाखलियों के भिड़ महज घरों के आगे की निर्जीव दीवार भर नहीं हुआ करती

पहाड़ के खोईक भिड़ महज घरों के आगे की निर्जीव दीवार भर नहीं हुआ करती बल्कि यहां के पारिवारिक, सामाजिक…

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भवाली की लल्ली क़ब्र का रहस्य और पुरानी यादें

भारत रत्न पं. गोबिन्द बल्लभ पन्त की कर्मभूमि एवं उनके सुपुत्र स्व. कृष्ण चन्द्र पन्त की जन्मस्थली का गौरव हासिल…

4 years ago