हमारा समाज

आप ऐसे थे नहीं आपको ऐसा बनाया गया है : आज का हमारा समाज

जम्हूरियत इक तर्ज़-ए-हुकूमत है कि जिस में बंदों को गिना करते हैं तौला नहीं करते - अल्लामा इक़बाल इसी लोकसभा…

5 years ago

किसने आख़िर ऐसा समाज रच डाला है

हमारा समाज -वीरेन डंगवाल  यह कौन नहीं चाहेगा उसको मिले प्यार यह कौन नहीं चाहेगा भोजन वस्त्र मिले यह कौन…

5 years ago