सुंदर चन्द ठाकुर

अतीत को छोड़ दो, बंधनों को तोड़ दो

जन्म के वक्त हम सभी शरीर और दिमाग के स्तर पर एक जैसे होते हैं, लेकिन हम जीवनकाल में अपने…

4 years ago

क्या आप अपने मोबाइल से ज्यादा ताकतवर हैं?

मेरे परिचितों में कई लोग हैं जो विपश्यना के लिए दस-दस दिनों के कैंपों में जाते हैं. इन कैंपों में…

4 years ago

खुश होना या दुखी होना हमारा चुनाव है

हमें खुश होना है या दुखी होना है, यह चुनाव हमेशा हमारे हाथ में रहता है. सामान्यत: हमें लगता है…

4 years ago

सुंदर लाल बहुगुणा से जब मिला मुझे तीन पन्ने का ऑटोग्राफ

पहाड़ और मेरा जीवन – 63 (पिछली क़िस्त: और मैंने कसम खाई कि लड़कियों के भरोसे कॉलेज में कोई चुनाव…

5 years ago

और मैं जुल्फ को हवा देता हुआ स्कूल से कॉलेज पहुंचा

पहाड़ और मेरा जीवन- 61 (पिछली क़िस्त: गरीब के गुरूर को मत जगाना कभी, मैंने चश्मे वाले को यूं दी…

5 years ago

गरीब के गुरूर को मत जगाना कभी, मैंने चश्मे वाले को यूं दी जबर धमकी

पहाड़ और मेरा जीवन – 60 (पिछली क़िस्त: वह भी क्या कोई उम्र थी पिताजी ये दुनिया छोड़कर जाने की)…

5 years ago

वह भी क्या कोई उम्र थी पिताजी ये दुनिया छोड़कर जाने की

पहाड़ और मेरा जीवन – 59 (पिछली क़िस्त: बीना नायर का वह सबके सामने मेरे दाहिने गाल को चूम लेना)…

5 years ago

बीना नायर का वह सबके सामने मेरे दाहिने गाल को चूम लेना

पहाड़ और मेरा जीवन – 58 (पिछली क़िस्त: मनोज भट उर्फ गब्बू से पढ़े गणित के ट्यूशन के नहीं दिए…

5 years ago

जब संपादकीय टिप्पणी के साथ ‘जनजागर’ के मुखपृष्ठ पर मेरी कविता प्रकाशित हुई

पहाड़ और मेरा जीवन – 38 (पिछली कड़ी: एक शराबी की लाश पर महिलाओं के विलाप ने लिखवाई मुझसे पहली…

6 years ago

एक शराबी की लाश पर महिलाओं के विलाप ने लिखवाई मुझसे पहली कविता

पहाड़ और मेरा जीवन – 37 (पिछली कड़ी: पहाड़ और मेरा जीवन – 36 :पहाड़ ने पुकारा तो मैं सहरा…

6 years ago