यह यात्रा अलग तरह की थी; ऐसी यात्रा जिसमें असमय हमसे छिन गए कालजयी कवि चंद्रकुंवर बर्त्वाल की अंतिम यात्रा…
इस किस्से की प्रामाणिकता का मैं दावा नहीं करता. बाकी लोगों की तरह मैंने भी इसे दूसरों के मुंह से…
करीब एक पखवाड़े पहले मेरे गाँव के नौजवानों ने व्हाट्सएप्प पर एक ग्रुप शुरू किया, ‘छानागाँव की रियासत’. इसमें नयी…
इस बात की चर्चा अब बेकार है कि कितनी उम्मीदों के साथ रामगढ़ की महादेवी वर्मा के मीरा कुटीर को…
मेरा पैतृक गाँव ब्रिटिश अल्मोड़ा के दक्षिण-पूर्व में स्थित एक छोटा-सा गाँव है, ‘छानगों’; मगर शुरू से ही इसे ‘छानागाँव’…
यह शोध हमारे विश्वविद्यालय में वनस्पति-विज्ञान के प्रोफ़ेसर साहब ने किया था. हिंदी समाज के आम प्राध्यापक की तरह वो…
आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी का मशहूर निबंध है ‘कुटज’. गिरिकूट यानी पहाड़ों की चोटी पर पैदा होने वाला वृक्ष है कुटज.…
गलत वर्तनी वाले पंडित, घूंघट वाले ठाकुर, छोटा ‘सा’ वाले बनिये और प्रदेश की ईंट-से-ईंट जोड़ते रहे एससी-एसटी शिल्पकार क्या…
पिछली सहस्राब्दी के आखिरी महीने में अपने हंगेरियन विद्यार्थियों को मैंने अपने इलाके का परिचय देने के लिए मशहूर लोकगायक…
हमारी धरती में नायकों की कभी कमी नहीं रही. चाहे जितने गिना लीजिए. आजादी से पहले भी, और बाद में…