राजशेखर पन्त

नेपाल से आये टिकेन्द्र का भोलापननेपाल से आये टिकेन्द्र का भोलापन

नेपाल से आये टिकेन्द्र का भोलापन

शिकंजे में बदलती दीवारें टिकेन्द्र नाम होगा उसका, जिसे वह कुछ अजीब से लहज़े में टिकेन्दर कह कर बताता है.…

4 years ago
इस साल मकर संक्रांति के दिन कौवे रूठे नज़र आयेइस साल मकर संक्रांति के दिन कौवे रूठे नज़र आये

इस साल मकर संक्रांति के दिन कौवे रूठे नज़र आये

मकर संक्रांति, कुमाऊँ हिमालय में मूलतः कौवों की अवाभागत का त्यौहार है. यहाँ यह दिवस ‘काले-कौवा’ त्यौहार के रूप में…

4 years ago
जलते जंगल का वसंतजलते जंगल का वसंत

जलते जंगल का वसंत

आज सुबह आँख खुली तो मन कुछ उद्विग्न था. बेसिरपैर का, पता नहीं क्या सपना देखा था रात को, कि…

6 years ago
देवीधूरा: आस्था की चट्टानें और सच्चाई के प्रहारदेवीधूरा: आस्था की चट्टानें और सच्चाई के प्रहार

देवीधूरा: आस्था की चट्टानें और सच्चाई के प्रहार

कौतूहल, कुछ देख कर उसके बारे में बहुत कुछ, सब कुछ जानने की कोशिश करना संभवतः मनुष्य का जन्म-जात स्वाभाव…

6 years ago
फिर आयेगा धुन्नीफिर आयेगा धुन्नी

फिर आयेगा धुन्नी

मुंशी प्रेमचंद की क्लासिक कहानी 'ईदगाह' की शुरुआत, अगर मुझे ठीक से याद है, तो कुछ इस तरह से है-…

6 years ago
नैनीताल का ईसाई कब्रिस्तान: वक्त के पथराये गाल और आँसू की बूंदेंनैनीताल का ईसाई कब्रिस्तान: वक्त के पथराये गाल और आँसू की बूंदें

नैनीताल का ईसाई कब्रिस्तान: वक्त के पथराये गाल और आँसू की बूंदें

निश्चित ही कब्रिस्तानों का एक आकर्षण होता है! निस्तब्धता, निरभ्रता, शायद इस जगह से मुखर कहीं ओर नहीं होती. और…

6 years ago