बचपन

पांच पैसे की रामलीला और वो मशाल दौड़पांच पैसे की रामलीला और वो मशाल दौड़

पांच पैसे की रामलीला और वो मशाल दौड़

एक तो बचपन ऊपर से वो भी गांव का. अलमस्त सा. घर वाले गालियों से नवाजते थे, और 'भूत' हो…

5 years ago
कहां गयी पहाड़ की चुंगी देने की परम्पराकहां गयी पहाड़ की चुंगी देने की परम्परा

कहां गयी पहाड़ की चुंगी देने की परम्परा

बचपन में चुंगी मिलने अपार आनंद याद आता है. वह जीवन के सबसे सुखद पलों में हुआ करता. हम बच्चे…

5 years ago
मुझे जिंदा पाकर मां ने जब मुझ पर की थप्पड़ों की बरसातमुझे जिंदा पाकर मां ने जब मुझ पर की थप्पड़ों की बरसात

मुझे जिंदा पाकर मां ने जब मुझ पर की थप्पड़ों की बरसात

पहाड़ और मेरा जीवन -45 पिछली क़िस्त : बद्रीदत्त कसनियाल- जिनके सान्निध्य में कब पत्रकार बना, पता ही न चला…

6 years ago
नाम में क्या रखा हैनाम में क्या रखा है

नाम में क्या रखा है

नाना के पास कहानियां थीं. नानी तो हमारे कहानी सुनने की उम्र से पहले ही खुद कहानी हो गईं थीं…

6 years ago