फिल्म समीक्षा

फ़िल्म इतनी इंटेंस है कि आपके वीकेंड का सारा मजा मूड ख़राब कर सकती है

ज़रा सोचें सच की तस्वीरों को आईने में हम उतारने चलें और तस्वीरें ही बोलने लगें, तो कैसा महसूस होगा…

5 years ago

स्मृति के स्पेस में छितरा हुआ सेल्यूलॉयड – गैंग्स आफ वासेपुर

अनुराग कश्यप चलती का नाम गाड़ी हो चुके हैं. सितारेदार प्री-पेड रिव्यूज का पहाड़ लग चुका है. वे अब आराम…

6 years ago

न खाता न बही, जो पापा बोले वही सही – फिल्म ‘दंगल’ का एक और उम्दा रिव्यू

अमूमन कहानियां तीन तरह से कही जाती हैं. पहला तरीका, सत्य घटनाओं का अपनी दृष्टि के मद्देनजर सीधा सच्चा बयान.…

6 years ago

भारतीय सिनेमा को बदलता एक मराठी निर्देशक

'सैराट' (मुक्त) क्षेत्रीय भाषा में रचा गया भारतीय सिनेमा का महाख्यान है. 'सैराट' बोन्साई होती जा रही मानवीय संवेदना की…

6 years ago