पुस्तक समीक्षा

रामजन्म से उनकी जलसमाधि तक

हमरी सीता हैं रात अँजोरी तोहरे राम हैं कारा भँवरवा जब कवि अपनी बोली -भाषा या कहें कि मातृभाषा में…

4 years ago

सरलता जो सहजता में तरमीम होती है

संतोष कुमार तिवारी के काव्य संकलन ‘अपने-अपने दंडकारण्य’ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी (Review of Santosh Kumar Tiwari Book Amit Srivastava)…

5 years ago

महेश पुनेठा की किताब का रिव्यू – एक किताब जिसमें सब हाजिर नाज़िर हों

कवि, लेखक महेशचंद्र पुनेठा की यह किताब शिक्षा के अनेक अनसुलझे -अधूरे सवालों का मात्र दुहराव भर नहीं, जैसा आपने…

5 years ago

बनारस के निष्कलुष हास्य और शार्प विट से बुना गया है आशुतोष मिश्रा का पहला उपन्यास

'राजनैत' लेखक आशुतोष मिश्र का पहला उपन्यास है. अपनी पहली ही रचना में उन्होंने प्रवाहमय विट-संपन्न गद्य लिखा है. उनमें…

5 years ago

ललित मोहन रयाल की नई किताब

कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ [ललित मोहन रयाल (Lalit Mohan Rayal) कृत ‘अथश्री प्रयाग कथा’ के बहाने प्रयाग के ‘बहबूद के…

6 years ago