पहाड़ और मेरा जीवन – 48 (पिछली क़िस्त: पुराने दोस्त पुरानी शराब से ज्यादा जायकेदार होते हैं) पुरानी चीजें सहेजकर…
गोविन्द राम काला की शानदार किताब ‘मेमोयर्स ऑफ़ द राज’ के कई अंशों का अनुवाद आप काफल ट्री पर पढ़…
पहाड़ और मेरा जीवन -45 पिछली क़िस्त : बद्रीदत्त कसनियाल- जिनके सान्निध्य में कब पत्रकार बना, पता ही न चला…
पहाड़ और मेरा जीवन -44 पिछली क़िस्त : पहाड़ों में पैदल चलने के बिना जिंदगी का जायका ही क्या जो…
1940 के दशक में पिथौरागढ़ कस्बे और इसके आस-पास सड़क नहीं थी. इस इलाके के दूरदराज तक के गाँव संकरी…
यह मंदिर पिथौरागढ़ से 18 किमी दूर बुंगाछीना की पहाड़ी पर स्थित है. यहाँ वैष्णव मूर्तियों के अलावा शिव तथा…
पहाड़ और मेरा जीवन -43 पिछली क़िस्त : हल चलाना, नौले से फौले में पानी भरकर लाना और घोघे की…
इन दिनों भारत सरकार द्वारा संचालित की जाने वाली बहु-प्रतीक्षित कैलाश- मानसरोवर यात्रा चल रही है. दिल्ली से शुरू होने…
पहाड़ और मेरा जीवन – 42 पिछली कड़ी: एक कमरा, दो भाई और उनके बीच कभी-कभार होती हाथापाई हम सबकी…
पिथौरागढ़ जिला पिछले कुछ समय से चर्चा का विषय बना हुआ है, मुद्दा है शिक्षकों और पुस्तकों की मांग करते…