चीड़ के पेड़ कब के पीछे छूट गये थे और अब तो ठंडी हवा और सर्पीली सड़क भी गुम हो…
ऑफिस से घर पहुँच कर दरवाजा खोलते ही वैवाहिक निमंत्रण कार्ड पड़ा मिला. पते की लिखावट वह एकदम से पहचान…
सारा सामान राधे ने सार कर सड़क पर पंत की दुकान तक पहुंचा दिया था. शंभुवा बैग लेकर खड़ा था…