ज्ञान पन्त

चौकोड़ी से केमू की बस पकड़ने की पुरानी याद

दादा के घर से चौकोड़ी, गोल टोपी सी दिखती है. लगता है जैसे प्रकृति ने चोटी को ठंड से बचाने…

4 years ago
शहर लौटने से पहले आमा और पोते के मन का उड़भाटशहर लौटने से पहले आमा और पोते के मन का उड़भाट

शहर लौटने से पहले आमा और पोते के मन का उड़भाट

जगथली गाँव से दादा का संदेशा आया है कि बुधवार की सुबह पहली बस से निकलेंगे. गंगोलीहाट-हल्द्वानी वाली केमो आठ…

4 years ago
आखिर बाबू को आश्रय देने वाले लोग कैसे रहे होंगेआखिर बाबू को आश्रय देने वाले लोग कैसे रहे होंगे

आखिर बाबू को आश्रय देने वाले लोग कैसे रहे होंगे

पिताजी सन् 1949 में लखनऊ आ गए थे. उन्होंने ने ही बताया था कि घर से ( गराऊँ, बेरीनाग )…

6 years ago
केमू में सफ़र और बीते ज़माने की यादकेमू में सफ़र और बीते ज़माने की याद

केमू में सफ़र और बीते ज़माने की याद

के०एम०ओ०यू० यानी कुमाऊं मोटर्स ओनर्स यूनियन. पहाड़ में सड़क परिवहन की सबसे पहली पंजीकृत संस्था. पुराने लोगों को याद होगा,…

6 years ago
अपनी आमा की बहुत याद आती है मुझेअपनी आमा की बहुत याद आती है मुझे

अपनी आमा की बहुत याद आती है मुझे

बात सन् 1982 के शुरुआती दिनों की है जब आमा लोहे के सन्दूक में पूरा पहाड़ समेटकर वाया बरेली यहाँ…

6 years ago