आशीष ठाकुर

साझा कलम : फालतू पुराण

"आ गए अच्छे दिन? आज तो पलंग के नीचे से निकालकर ड्राइंग रूम तक आ गए, क्या बात है !"-…

5 years ago

रॉंग नंबर

रॉंग नंबर -आशीष ठाकुर एक दोपहर थी थकी-थकी, उदास, ठहरी हुई. खिड़कियाँ सूनी थी, आसमान अकेला. घर में सन्नाटा पसरा…

5 years ago

दुःख का रंग भी सुनहरा होता है –द स्ट्रेट स्टोरी

  आशीष ठाकुर आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर…

6 years ago