अमित श्रीवास्तव का कॉलम

लपूझन्ना जादू है!लपूझन्ना जादू है!

लपूझन्ना जादू है!

किताब उठाते ही लगता है किसी जादूगर ने काले लंबे हैट में हाथ डालकर एक कबूतर निकाल दिया हो. किताब…

3 years ago
बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों मेंबहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में

बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में

बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में. आँखों में देखकर बातें नहीं कर रहा था वो. सामने मेज पर…

3 years ago
ठेठ गढ़वाल के जीवन से जुड़ी चीज़ों को समझने के लिए एक तरह का रोचक शब्दकोश है ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’ठेठ गढ़वाल के जीवन से जुड़ी चीज़ों को समझने के लिए एक तरह का रोचक शब्दकोश है ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’

ठेठ गढ़वाल के जीवन से जुड़ी चीज़ों को समझने के लिए एक तरह का रोचक शब्दकोश है ‘काऽरी तु कब्बि ना हाऽरि’

बचपन में नए साल के ग्रीटिंग कार्ड बनाने के दौरान एक युक्ति सीखी थी. रंग में डुबाया हुआ धागा लेकर…

4 years ago
क्या है डिजिटल लाइब्रेरियों का भविष्य?क्या है डिजिटल लाइब्रेरियों का भविष्य?

क्या है डिजिटल लाइब्रेरियों का भविष्य?

अगर आप इसे पढ़ रहे हैं तो आपके लिए एक ज़रूरी सूचना है. तकरीबन दो-तीन माह पूर्व मुझे एक दोस्त…

5 years ago
मातृभाषा राजभाषा सम्पर्क भाषा राष्ट्रभाषा… कौन सी भाषा?मातृभाषा राजभाषा सम्पर्क भाषा राष्ट्रभाषा… कौन सी भाषा?

मातृभाषा राजभाषा सम्पर्क भाषा राष्ट्रभाषा… कौन सी भाषा?

इस भुस्कैट हो चले विवाद से बेहतर है हम भाषा के मुद्दे को एक अलहदा तरीके से समझने की कोशिश…

5 years ago
जाता हुआ साल और लोकतंत्र के व्याकरण का गणितजाता हुआ साल और लोकतंत्र के व्याकरण का गणित

जाता हुआ साल और लोकतंत्र के व्याकरण का गणित

साल के आख़िरी दिनों में जब हमारी पीढ़ी के पढ़े-लिखे-एम एन सी जैसी अबूझ नागरिकता वाली कम्पनियों में लगे, ज़्यादातर…

5 years ago
संविधान दिवस पर एक सरकारी सेवक कम लेखक का आत्मालापसंविधान दिवस पर एक सरकारी सेवक कम लेखक का आत्मालाप

संविधान दिवस पर एक सरकारी सेवक कम लेखक का आत्मालाप

लिखना अपने होने को तस्दीक करना है Constitution Day Special Amit Srivastava हम क्यों लिखते हैं इससे पहले ये जानना…

5 years ago
रिटायरमेंट के बाद कमरे में सोएं, यही चाहते हैं बसरिटायरमेंट के बाद कमरे में सोएं, यही चाहते हैं बस

रिटायरमेंट के बाद कमरे में सोएं, यही चाहते हैं बस

बहुत कुछ घुमड़ रहा था उसकी आँखों में. आँखों में देखकर बातें नहीं कर रहा था वो. सामने मेज पर…

5 years ago
एस.पी. बालासुब्रमण्यम : जिनकी आवाज़ पुराने चावल की खुशबू की तरह पूरे घर में फैल जाती हैएस.पी. बालासुब्रमण्यम : जिनकी आवाज़ पुराने चावल की खुशबू की तरह पूरे घर में फैल जाती है

एस.पी. बालासुब्रमण्यम : जिनकी आवाज़ पुराने चावल की खुशबू की तरह पूरे घर में फैल जाती है

आवाज़ बहुत भारी थी वो. बहुत ही भारी. तमाम आवाज़ों के बीच जगह बनाकर भीतर जम गई. यूं कि जैसे…

5 years ago
नाम में क्या रखा हैनाम में क्या रखा है

नाम में क्या रखा है

नाना के पास कहानियां थीं. नानी तो हमारे कहानी सुनने की उम्र से पहले ही खुद कहानी हो गईं थीं…

6 years ago