ललित मोहन रयाल

ऋषिकेश मुखर्जी की कालजयी फिल्म: किसी से न कहना

ऋषिकेश मुखर्जी, दिलचस्प और जीवंत सिनेमा के फन मे माहिर सिनेकार रहे हैं. उनकी फिल्मों में बेहद हल्के-फुल्के अंदाज में…

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रुपहले पर्दे पर परिवार रचने वाले राजकुमार बड़जात्या का निधन

'मैने प्यार किया' के प्रोड्यूसर बड़जात्या को कौन भूल सकता है. वे निर्देशक सूरज बड़जात्या के पिता थे. बड़जात्या की…

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नामवर सिंह: साहित्यिक-वाचिक परंपरा के प्रतिमान

'तुम बहुत बड़े नामवर हो गए हो क्या.' नामवर का नाम एक दौर में असहमति जताने का एक तरीका बनकर…

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शेक्सपियर के नाटक ‘द कॉमेडी ऑफ एरर्स’ पर आधारित फिल्म : अंगूर

अंगूर, बांग्ला फिल्म भ्रांतिविलास की रीमेक थी, जो ईश्वर चंद्र विद्यासागर के नाटक पर आधारित थी. यह नाटक विलियम शेक्सपियर…

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डार्क ह्यूमर का शानदार नमूना पेश करती फिल्म : नरम गरम

पिता-पुत्री का घर नीलामी की भेंट चढ़ जाता है. वे नायक के यहाँ शरण लेते हैं, जिसके खुद के हालात…

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मानवीय चेतना को गहराई तक छू जाने वाली फिल्म ‘कथा’

फिल्म ‘कथा’ (1982) का बैकड्राप, खरगोश-कछुए की कथा पर आधारित है. बदलते हुए परिवेश में, परिवर्तित होते नैतिक मूल्यों को…

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हल्के-फुल्के मिजाज की फिल्म चश्मेबद्दूर

चश्मेबद्दूर (Chashme Buddoor) एक पर्सियन शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ है- बुरी नजर से दूर या नजर ना लगे. चश्मे…

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ऋषिकेश मुखर्जी की ‘गोलमाल’ यानी बेहद ऊंचे दर्जे का ह्यूमर

ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित गोलमाल (1979) हिंदी सिनेमा की सफलतम फिल्मों में से एक है. शिष्ट हास्य को परदे पर उकेरना…

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बहुत बड़ी और क्लासिक फिल्म है ‘छोटी सी बात’

वर्ष 1975 हिंदी सिने-इतिहास में खास तौर पर याद किए जाने लायक साल है. इस वर्ष शोले, दीवार, धर्मात्मा, जमीर,…

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ह्यूमर और भाषा का अद्भुत संयोजन है ऋषिकेश मुखर्जी की ‘चुपके चुपके’

ऋषि दा को मिडिल क्लास सिनेमा का बड़ा क्राफ्टमैन यूँ ही नहीं कहा जाता. लीक से हटकर विषय उठाने में…

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