राजशेखर पन्त

नेपाल से आये टिकेन्द्र का भोलापन

शिकंजे में बदलती दीवारें टिकेन्द्र नाम होगा उसका, जिसे वह कुछ अजीब से लहज़े में टिकेन्दर कह कर बताता है.…

3 years ago

इस साल मकर संक्रांति के दिन कौवे रूठे नज़र आये

मकर संक्रांति, कुमाऊँ हिमालय में मूलतः कौवों की अवाभागत का त्यौहार है. यहाँ यह दिवस ‘काले-कौवा’ त्यौहार के रूप में…

4 years ago

जलते जंगल का वसंत

आज सुबह आँख खुली तो मन कुछ उद्विग्न था. बेसिरपैर का, पता नहीं क्या सपना देखा था रात को, कि…

5 years ago

देवीधूरा: आस्था की चट्टानें और सच्चाई के प्रहार

कौतूहल, कुछ देख कर उसके बारे में बहुत कुछ, सब कुछ जानने की कोशिश करना संभवतः मनुष्य का जन्म-जात स्वाभाव…

5 years ago

फिर आयेगा धुन्नी

मुंशी प्रेमचंद की क्लासिक कहानी 'ईदगाह' की शुरुआत, अगर मुझे ठीक से याद है, तो कुछ इस तरह से है-…

5 years ago

नैनीताल का ईसाई कब्रिस्तान: वक्त के पथराये गाल और आँसू की बूंदें

निश्चित ही कब्रिस्तानों का एक आकर्षण होता है! निस्तब्धता, निरभ्रता, शायद इस जगह से मुखर कहीं ओर नहीं होती. और…

5 years ago