मेरे लिए यादों का एक शहर. कई वर्षों बाद आज यहां लौटना हुआ. इसे लौटना भी क्या कहूँ? बस ये…
जून के महीने की भरी दोपहरी. इतना भरा पूरा गांव आराम की मुद्रा में था. इसलिए चारों ओर खामोशी सी…