उत्तराखंड की जनता एकबार फिर नया मुख्यमंत्री देखेगी. अपना कार्यकाल पूरा न करने वाले मुख्यमंत्रियों में बीती रात तीरथ सिंह रावत का नाम भी जुड़ गया. इस बीच एकबार फिर मुख्यमंत्री आवास की मनहूसियत की कहानी कही जाने लगी है.
(Stories Uttarakhand CM Official Residence)
उत्तराखंड का मुख्यमंत्री आवास अपने मुख्यमंत्रियों से ज्यादा अपनी मनहूसियत को लेकर चर्चा में अधिक रहता है. मुख्यमंत्री आवास के विषय में यह माना जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री इस आवास में रहने जाता है उसका कार्यकाल पूर्ण नहीं होता है. संयोगवश ऐसा हुआ भी है कि उत्तराखंड के तीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरिया ‘निशंक’, विजय बहुगुणा और त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री आवास में रहे और अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये.
माना जाता है कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस अफ़वाह से बचने के लिये वहां जाने से पहले दो दिन का पूजा पाठ भी करवाया था. प्रचंड बहुमत के बाद भी जब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी कुर्सी नहीं बचा पाये तो मुख्यमंत्री आवास के मनहूस होने की अफ़वाह पर जैसे सच्चाई की मुहर लग गयी.
(Stories Uttarakhand CM Official Residence)
अफवाह पर लगी इस मोहर की स्याही इतनी पक्की निकली कि माना गया भूतपूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इसी के चलते मुख्यमंत्री आवास में प्रवेश ही नहीं किया. हालांकि वह तब भी अपनी कुर्सी न बचा सके.
कहा जाता है मुख्यमंत्री आवास को चली इस अफवाह के चलते ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अपने पूरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री आवास में नहीं रहे. हरीश रावत अपने पूरे कार्यकाल के दौरान बीजापुर गेस्ट हाउस में रहे.
नवभारत टाइम्स ने राजनीतिक विश्लेषक उदित घिडियाल के हवाले से लिखा हिया कि विधानसभा में बीजेपी के पास 57 सीट है. इतने बड़े बहुमत वाली सरकार में राजनीतिक संकट का होना एक अप्रत्याशित स्थिति जैसा लगता है. ऐसे में फिर वहीं कहानियां ज्यादा बड़ी हो जाती हैं जिसमें मुख्यमंत्री आवास को मनहूस बताया गया है.
देहरादून कैंट रोड में स्थित यह आवास करीब 10 एकड़ में बना है जिसमें 60 कमरे हैं. पहाड़ी शैली में 16 करोड़ की लागत से यह आवास 2010 में बना था. बैडमिंटन कोर्ट. स्वीमिंग पूल आदि सुवीधाओं वाले इस मुख्यमंत्री आवास में जाने से हर कोई मुख्यमंत्री डरा है.
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