उत्तराखण्ड के कुमाऊं मंडल के खूबसूरत हिल स्टेशनों में एक शीतलाखेत भी है. एक पर्यटक स्थल के रूप में शीतलाखेत बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं है लेकिन प्रकृति से एकाकार होकर आत्मिक सुख प्राप्त करने के इच्छुक सैलानियों की यह पसंदीदा जगह है. शीतलाखेत अल्मोड़ा जिला मुख्यालय से दक्षिण पश्चिम दिशा में 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. शीतलाखेत अपने प्राकृतिक सौंदर्य तथा हिमालय की चोटियों के विहंगम दृश्य के लिए प्रसिद्ध है. यहां से हिमालय की बहुत विस्तृत श्रृंखला करीब ही दिखाई पड़ती है. चारों ओर से लगभग 1800 हैक्टेयर वन क्षेत्र से घिरा हुआ यह कस्बा ग्राम पंचायत सल्ला रौतेला का एक तोक है. शीतलाखेत कुमाऊँ की उन जगहों में से एक है जहां बेहद घना जंगल मौजूद है. (Shitlakhet Beautiful Hill Station of Uttarakhand)
प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर शीतलाखेत में बीसवीं शताब्दी की शुरुआत से आबादी की बसावट शुरू हुई. सल्ला रौतेला निवासी शिरोमणि पाठक पुत्र नरदेव पाठक आरंभ में अपने गांव से आकर खैरना-कर्णप्रयाग पैदल यात्रा मार्ग के किनारे स्थित इस रमणीक स्थान पर सपरिवार बसे शुरुआती लोगों में थे.
उन दिनों पहाड़ी इलाकों तक सड़क यातायात की अच्छी पहुंच नहीं हुआ करती थी. उस दौर में चारधाम यात्रा करने वाले पैदल तीर्थयात्रियों के द्वारा शीतलाखेत में पड़ाव डाला जाता था. वर्ष 1930 के आसपास ‘बालचर सेवा संस्थान,’ जिसे कालांतर में ‘भारत स्काउट गाइड’ के नाम से जाना जाता है, के श्रीराम बाजपेई का इस स्थान पर आगमन हुआ और शिरोमणि पाठक से जमीन लेकर उनके द्वारा यहां पर ‘उत्तर प्रदेश भारत स्काउट एवं गाइड’ के ग्रीष्म कालीन प्रशिक्षण केन्द्र की नींव रखी गई.
शीतलाखेत धार्मिक दृष्टि से भी खासे महत्व की जगह है. यह स्थान प्रसिद्ध संत हैडा़खंडी महाराज तथा सोमवार गिरी महाराज की तपस्थली भी रहा है. हैडा़खंडी महाराज द्वारा शीतलाखेत में सिद्धाश्रम की स्थापना भी की गई है.
इसे भी पढ़ें : चौकोड़ी : जहां आप आकाशगंगाओं से बात कर सकते हैं
शीतलाखेत रानीखेत, कौसानी, बिनसर, जागेश्वर, नैनीताल आदि पर्यटन स्थलों से 1 से 3 घंटों की दूरी पर स्थित है. भारतीय स्टेट बैंक की शाखा, इंटर कालेज, डिग्री कालेज सहित आधा दर्जन से अधिक सरकारी कार्यालय भी यहां हैं. पर्यटकों के ठहरने के लिए होटल, कैंप साईट तथा होम स्टे की सुविधाएं हैं. (Shitlakhet Beautiful Hill Station of Uttarakhand)
रानी पद्मिनी को प्रिय था रानीखेत
काफल ट्री के फेसबुक पेज को लाइक करें : Kafal Tree Online
मूल रूप से बेंगलूरु के रहने वाले सुमित सिंह का दिमाग अनुवाद में रमता है तो दिल हिमालय के प्रेम में पगा है. दुनिया भर के अनुवादकों के साथ अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद के वैश्विक प्लेटफार्म www.translinguaglobal.com का संचालन करते हैं. फिलहाल हिमालय के सम्मोहन में उत्तराखण्ड की निरंतर यात्रा कर रहे हैं और मजखाली, रानीखेत में रहते हैं.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…
हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…
जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…
एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…
https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…
-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…