अशोक पाण्डे

आज शैलेश मटियानी जी को गए उन्नीस साल बीत गए

उनके पास बहुत सारी भाषाएँ थीं जिन्हें वे जीवन भर तराशते रहे. उनके यहाँ असंख्य ठेठ गंवई पात्र हैं तो अभिजात्य से भरपूर स्त्रियाँ भी. वे रमौल-बफौलों की कहानी को किसी अनुभवी जगरिये की सी साध के साथ सुनाते हैं तो बंबई-इलाहाबाद के क़िस्सों की भाषा में एक अति-सजग और संवेदनशील अन्वेषक-दर्शक जैसे दिखते हैं. उनके लेखन में भिखारियों से लेकर महारानियों तक के प्रेम प्रसंग हैं, पहाड़ों से ऊंचे हौसले वाली स्त्रियाँ हैं, कुलीन, कामासक्त बूढ़े हैं, गोश्त काटती छुरी की धार पर ठहर जाने को आतुर धवल हिमालयी चोटियों की लपट है और एक भीषण संघर्षशील जीवन का सतत आख्यान. Shailesh Matiyani Died on this Day 19 Years Ago

एक सिद्धहस्त लेखक के तौर पर उन्होंने कुमाऊं के पहाड़ों के मुश्किल जीवन की सारी त्रासदियों और जटिलताओं को ज़ुबान दी.

हैरत होती है कि एक के बाद एक व्यक्तिगत त्रासदियों और जीवन की क्रूरता के सम्मुख लगातार परास्त होते, लगातार ढहते हुए भी कोई इतना संतुलित और विराट कैसे बना रह सकता है.

आज पूरे उन्नीस बरस बीत गए शैलेश मटियानी जी को गए. उनके हिस्से का क़र्ज़ अभी तारा जाना बाकी है.

अशोक पाण्डे

यह भी पढ़ें: 
अपने अंतिम दिनों में शैलेश मटियानी
शैलेश मटियानी की एक अमर कहानी

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

हिन्दी के मूर्धन्य कथाकार-उपन्यासकार शैलेश मटियानी (Shailesh Matiyani) अल्मोड़ा जिले के बाड़ेछीना में 14 अक्टूबर 1931 को जन्मे थे. सतत संघर्ष से भरा उनका प्रेरक जीवन भैंसियाछाना, अल्मोड़ा, इलाहाबाद और बंबई जैसे पड़ावों से गुजरता हुआ अंततः हल्द्वानी में थमा जहाँ 24 अप्रैल 2001 को उनका देहांत हुआ. शैलेश मटियानी का रचनाकर्म बहुत बड़ा है. उन्होंने तीस से अधिक उपन्यास लिखे और लगभग दो दर्ज़न कहानी संग्रह प्रकाशित किये. आंचलिक रंगों में पगी विषयवस्तु की विविधता उनकी रचनाओं में अटी पड़ी है. वे सही मायनों में पहाड़ के प्रतिनिधि रचनाकार हैं. Shailesh Matiyani Died on this Day 19 Years Ago

शैलेश मटियानी की महत्वपूर्ण रचनाएं: 

उपन्यास : गोपुली गफूरन, चंद औरतों का शहर, नागवल्लरी, बावन नदियों का संगम, माया-सरोवर, मुठभेड़, रामकली, हौलदार, उत्तरकांड
कहानी संग्रह : चील, प्यास और पत्थर, अतीत तथा अन्य कहानियाँ, भेड़ें और गड़ेरिये, बर्फ और चट्टानें, ‘नाच, जमूरे, नाच’
विविध : लेखक और संवेदना, त्रिज्या, मुख्यधारा का सवाल, यदा-कदा

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखण्ड : धधकते जंगल, सुलगते सवाल

-अशोक पाण्डे पहाड़ों में आग धधकी हुई है. अकेले कुमाऊँ में पांच सौ से अधिक…

6 hours ago

अब्बू खाँ की बकरी : डॉ. जाकिर हुसैन

हिमालय पहाड़ पर अल्मोड़ा नाम की एक बस्ती है. उसमें एक बड़े मियाँ रहते थे.…

7 hours ago

नीचे के कपड़े : अमृता प्रीतम

जिसके मन की पीड़ा को लेकर मैंने कहानी लिखी थी ‘नीचे के कपड़े’ उसका नाम…

9 hours ago

रबिंद्रनाथ टैगोर की कहानी: तोता

एक था तोता. वह बड़ा मूर्ख था. गाता तो था, पर शास्त्र नहीं पढ़ता था.…

23 hours ago

यम और नचिकेता की कथा

https://www.youtube.com/embed/sGts_iy4Pqk Mindfit GROWTH ये कहानी है कठोपनिषद की ! इसके अनुसार ऋषि वाज्श्र्वा, जो कि…

2 days ago

अप्रैल 2024 की चोपता-तुंगनाथ यात्रा के संस्मरण

-कमल कुमार जोशी समुद्र-सतह से 12,073 फुट की ऊंचाई पर स्थित तुंगनाथ को संसार में…

2 days ago