आशीष ठाकुर
आशीष मूलतः मध्यप्रदेश के निवासी हैं.फिलहाल पिछले 15 वर्षों से मुंबई में रहते हैं. पहले एडवरटाइजिंग, फिर टेलीविज़न और अब फ्रीलांसिंग करते हुए मीडिया से जुड़े हुए हैं. फिल्मों और साहित्य से गहरा जुड़ाव रखते हैं और फिलहाल इसी क्षेत्र में कुछ बेहतर करने के लिए प्रयासरत है.
दूर तक खुला साफ चमकता आसमान और मक्के के बड़े-बड़े फैले हुए खेतों पर बिखरी हुयी सुनहरी धूप. इन हरे-भरे खेतों के बीच से जाती हुई साफ-सुथरी छोटी सी एक सड़क और उस सड़क पर छोटे से ट्रैक्टर पर अपने बीमार भाई से मिलने को जाता हुआ लगभग 75 साल का एल्विन स्ट्रेट. सफर कठिन है ज़िन्दगी की तरह, सफर तन्हा है बिल्कुल ज़िन्दगी की तरह. सफर खूबसूरत हो सकता है अगर दिल में चलते रहने का हौसला हो और आँखों में उम्मीद की चमक हो, बिल्कुल ज़िन्दगी के सफर की तरह.
एल्विन की ज़िन्दगी में अच्छा कुछ भी नहीं, एक तरफ शरीर पर उम्र हावी है, दूसरी तरफ मानसिक परेशानी, अकेली, उदास सी बेटी है. दोनों की ज़िंदगी को बस एक-दूसरे का सहारा है. एक तूफानी रात एल्विन को खबर मिलती है कि उसका भाई जिससे वह 10 सालों से खफा है, जुदा है, को दिल का दौरा पड़ा है.
बस अगले ही दिन एल्विन उससे मिलने जाने का इरादा कर लेता है. उसने तय कर लिया यह सफर अकेला करेगा और वह भी घास छांटने वाले अपने छोटे से ट्रैक्टर पर. इतना लम्बा सफर, एक छोटे से ट्रैक्टर पर. सब उसे समझाते हैं पर वो समझता नहीं. लोग उसे पागल कहते हैं, लेकिन वह ज़िद्दी है. आखिर सेकंड वर्ल्ड वॉर का एक सैनिक जो ठहरा. उसने ठान लिया है 10 सालों की नफ़रत को ख़त्म करने वह अपने भाई से मिलने जायेगा. यह लम्बा और अकेला सफर वह ज़रूर करेगा, फिर चाहे अंजाम जो भी हो.
खैर एल्विन का सफर शुरू होता है. इस सफर में उसे कई लोग मिलते हैं – कुछ ज़िन्दगी से नाराज़ हैं तो कुछ से ज़िंदगी नाराज़ है. लेकिन यह नाराज़गी आखिर कब तक. अगर खुश रहना है तो ज़िन्दगी को दोस्त बनाकर चलना ही बेहतर होता है.
यह सफर एक साथ दो रास्तों पर चलता है – एक रास्ता हरे-भरे खेतों से होकर जाता है तो दूसरा इंसान के ज़ेहन से होकर गुज़रता है. जहाँ अँधेरी गलियां भी है, अकेलेपन और दुःख की नदियां भी बह रही हैं, तो रिश्तों के गर्म-सर्द मौसम भी हैं. दोस्ती और प्यार की धूप भी है.
चाहे घर में अकेले बैठे हुये, ऑफिस में काम करते हुए या बाजार में शॉपिंग करते हुए, हम सब अंदर के इस सफर में हमेशा रहते हैं. और यहीं सफर अंत में ज़िन्दगी का हासिल तय करता है. इस सफर को मोहब्बत और ईमानदारी से तय करना ही इंसान का उद्देश्य होना चाहिए.
एल्विन अपने दिल में मोहब्बत लिए, ईमानदारी से अपना सफर तय करता है और अपने बीमार भाई के पास पहुँचता है. और भाई जब देखता है कि उसका हाल जानने के लिए एल्विन एक छोटे से ट्रैक्टर पर इतनी दूर आया तो उसका सारा गुस्सा, सारी नाराज़गी पल में दूर हो जाती है. और आखिर में दोनों भाई बचपन की तरह फिर से आसमान के तारों को तकते हुए रात बिताते हैं.
द स्ट्रेट स्टोरी बिलकुल स्ट्रेट है. बड़ी ही खूबसूरती से सीधी-सरल-सहज बुनी हुई कहानी है. जो एक पल के लिए भी ज़िन्दगी का हाथ नहीं छोड़ती. डायरेक्टर डेविड लिंच की सबसे खूबसूरत फिल्मों में से ये एक है. द स्ट्रेट स्टोरी एक मास्टर डायरेक्टर का मास्टरपीस है और ज़रूर देखने लायक है.
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