ईश्वर और आदमी की बातचीत
-लीलाधर जगूड़ी
जानते हो यह मूर्ति मेरी है
और कुछ लोग इसे पूजने आ रहे हैं
तुम्हें क्या चाहिए? क्या तुम्हारा भी व्रत है?
नहीं नहीं, यह मूर्ति मेरी है और यह बिक चुकी है
ख़ुद को तो मैं तुमसे भी ज़्यादा जानता हूँ
संयोग से जो पाँचवी योजना में नहीं
वह तुम कैसे दे सकते हो?
जबकि मेरा कोई व्रत नहीं; फिर भी मैं भूखा हूँ
प्रश्न केवल मूर्ति का नहीं यह मेरे घर का भी सवाल है
बताओ कि मैं कहाँ निवास करूँ?
तुम किताबों से उठकर बार-बार यहाँ क्यों चले आते हो
हमने तुम्हें कलैंडरों पर दे दिया है
जाओ, जूते और घड़ियों के ऊपर रहो
आदमियों के ऊपर इस वक़्त ख़तरा है.
काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री
काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें
शेरवुड कॉलेज, भारत में अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए पहले आवासीय विद्यालयों में से एक…
कभी गौर से देखना, दीप पर्व के ज्योत्सनालोक में सबसे सुंदर तस्वीर रंगोली बनाती हुई एक…
शायद यह पहला अवसर होगा जब दीपावली दो दिन मनाई जाएगी. मंगलवार 29 अक्टूबर को…
तकलीफ़ तो बहुत हुए थी... तेरे आख़िरी अलविदा के बाद। तकलीफ़ तो बहुत हुए थी,…
चाणक्य! डीएसबी राजकीय स्नात्तकोत्तर महाविद्यालय नैनीताल. तल्ली ताल से फांसी गधेरे की चढ़ाई चढ़, चार…
देह तोड़ी है एक रिश्ते ने… आख़िरी बूँद पानी का भी न दे पाया. आख़िरी…