Featured

कल से शुरू होंगे पितृपक्ष के श्राद्ध

भाद्रपद महीने के समाप्त होने पर आश्विन मास की शुरुआत होती है. परम्परा है कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पितृ पक्ष मनाया जाए और श्राद्ध-तर्पण इत्यादि से उनकी स्मृति का सम्मान किया जाए. 
(Pitri Paksha Shradh in Uttarakhand)

इस श्राद्ध पक्ष में हर तिथि की अपनी अपनी विशेषता है और दिन के हिसाब से अलग-अलग श्राद्ध के नियम नियत हैं. अपने पितरों को याद करने की इस परम्परा का उत्तराखंड में बहुत महत्त्व है और इस अवधि में खान-पान और रहन-सहन में अनेक तरह के नियंत्रण रखना अनिवार्य माना जाता है.

पितृ पक्ष की शुरुआत के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाना होता है जिनका देहावसान पूर्णिमा के दिन हुआ हो. अगले दिन अर्थात प्रतिपदा की तिथि को किसी भी महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्षों की इस तिथि को मृतक हुए लोगों का श्राद्ध किया जाता है. इसी तरह द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी और पंचमी के दिन दिवंगत हो गए लोगों का श्राद्ध तिथि के हिसाब से किया जाता है. यही बात षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी और दशमी पर भी लागू होती है.
(Pitri Paksha Shradh in Uttarakhand)

अलबत्ता यदि किसी महिला की मृत्यु की तिथि पता न हो तो उसका श्राद्ध भी नवमी को ही किया जाता है. एकादशी का दिन तिथि के हिसाब से मृतक हुए लोगों के अलावा सन्यासियों के श्राद्ध के लिए तय होता है. द्वादशी और त्रयोदशी पर भी तिथि के हिसाब से श्राद्ध होते हैं और इसके अलावा बच्चे का श्राद्ध त्रयोदशी को किया जाता है.

दुर्घटना में मारे गयों के लिए चतुर्दशी का दिन नियत है जबकि अमावस्या के दिन जिसे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या कहते हैं, सभी पितरों को सामूहिक रूप से श्राद्ध अर्पित किया जाता है. इसी परम्परा के तहत बात अगर ‘हवीक’ की करें, तो ये एक ऐसी पितृ क्रिया है, जिसमें श्राद्ध के पिछले दिन प्रातः तर्पण के उपरान्त पूरे दिन निराहार रहकर, सूरज डूबने से पहले गाय, कौऐ तथा कुत्ते को भोजन निकालकर ’हवीक’ करने वाला स्वयं केवल एक बार ही भोजन करता है.
(Pitri Paksha Shradh in Uttarakhand)

काफल ट्री डेस्क

हमारे फेसबुक पेज को लाइक करें: Kafal Tree Online

काफल ट्री वाट्सएप ग्रुप से जुड़ने के लिये यहाँ क्लिक करें: वाट्सएप काफल ट्री

काफल ट्री की आर्थिक सहायता के लिये यहाँ क्लिक करें

Kafal Tree

Recent Posts

उत्तराखंड में सेवा क्षेत्र का विकास व रणनीतियाँ

उत्तराखंड की भौगोलिक, सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विशेषताएं इसे पारम्परिक व आधुनिक दोनों प्रकार की सेवाओं…

3 days ago

जब रुद्रचंद ने अकेले द्वन्द युद्ध जीतकर मुगलों को तराई से भगाया

अल्मोड़ा गजेटियर किताब के अनुसार, कुमाऊँ के एक नये राजा के शासनारंभ के समय सबसे…

1 week ago

कैसे बसी पाटलिपुत्र नगरी

हमारी वेबसाइट पर हम कथासरित्सागर की कहानियाँ साझा कर रहे हैं. इससे पहले आप "पुष्पदन्त…

1 week ago

पुष्पदंत बने वररुचि और सीखे वेद

आपने यह कहानी पढ़ी "पुष्पदन्त और माल्यवान को मिला श्राप". आज की कहानी में जानते…

1 week ago

चतुर कमला और उसके आलसी पति की कहानी

बहुत पुराने समय की बात है, एक पंजाबी गाँव में कमला नाम की एक स्त्री…

1 week ago

माँ! मैं बस लिख देना चाहती हूं- तुम्हारे नाम

आज दिसंबर की शुरुआत हो रही है और साल 2025 अपने आखिरी दिनों की तरफ…

1 week ago